लूट-खसोट की राजनीति बंद हो
अपने गठन के समय से ही झारखंड विवादों में घिरा रहा. जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसे बिहार से अलग किया गया, उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुई. हां, इतना जरूर हुआ कि हमारे यहां की खनिज संपदा को नेताओं ने दूसरे के हाथों बेच कर अरबों रुपये की संपत्ति अजिर्त की. सही मायने […]
अपने गठन के समय से ही झारखंड विवादों में घिरा रहा. जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसे बिहार से अलग किया गया, उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुई. हां, इतना जरूर हुआ कि हमारे यहां की खनिज संपदा को नेताओं ने दूसरे के हाथों बेच कर अरबों रुपये की संपत्ति अजिर्त की. सही मायने में तो अलग राज्य बनने के बाद सूबे के लोगों का विकास होना चाहिए था, लेकिन ठीक उल्टा हुआ.
राजनेता कभी लोगों को स्थानीयता के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर भड़का कर अपना काम करते जा रहे हैं. एक तरफ जनता आपस में भिड़ रही होती है, तो वहीं नेता इसका लाभ उठा कर कभी बालू के ठेके में घोटाला कर जाते हैं, तो कभी कोयला खानों के आवंटन में खेल कर जाते हैं. अस्थिर सरकार की आड़ में जो राजनीतिक और लूट-खसोट का खेल होता रहा, उसे बंद करने की दरकार है.
संतोष कुमार, जमशेदपुर