17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पड़ोसी आगे बढ़ेगा तभी मोटापा घटेगा

।। संतोष सारंग ।। (प्रभात खबर, मुजफ्फरपुर) मोटापा एक प्रकार की व्याधि ही है. इसके भुक्तभोगी क्या-क्या जतन नहीं करते हैं. वाकिंग, जॉगिंग, डाइटिंग, फास्टिंग और पता नहीं क्या-क्या. फिर भी बदन की चर्बी घटने का नाम ही नहीं लेती. अखबारी विज्ञापन वाली दवा भी आजमा कर थक जाते हैं. सब बेअसर. अपने सिन्हाजी को […]

।। संतोष सारंग ।।

(प्रभात खबर, मुजफ्फरपुर)

मोटापा एक प्रकार की व्याधि ही है. इसके भुक्तभोगी क्या-क्या जतन नहीं करते हैं. वाकिंग, जॉगिंग, डाइटिंग, फास्टिंग और पता नहीं क्या-क्या. फिर भी बदन की चर्बी घटने का नाम ही नहीं लेती. अखबारी विज्ञापन वाली दवा भी आजमा कर थक जाते हैं. सब बेअसर. अपने सिन्हाजी को ही ले लीजिए. वह ठहरे एकदम दुबले-पतले और उनकी श्रीमतीजी तीन क्विंटल की.
ठाट-बाट से रहने के बावजूद वे खुश नहीं हैं. पत्नी को छरहरा बनाने के लिए उन्होंने कितने दर्जन जूते घिस दिया, पर सब बेकार. लेकिन इनसान को कभी-कभार बिना जतन के इच्छित फल मिल जाता है. सिन्हाजी की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हो रहा था. दवा- दुआ, जॉगिंग, डाइटिंग से जो न हुआ, वह काम पड़ोसी वर्माजी की आलीशान कोठी की पांचवीं मंजिल ने कर दिखाया.

ज्यों ही वर्माजी ने सिन्हाजी के मकान से एक मंजिल ज्यादा खड़ी कर दी, सिन्हाजी की पत्नी दुबली होने लगीं. पड़ोसी का मकान एक मंजिल ऊपर कैसे हो गया, यह सोच-सोच कर वह दुखी रहने लगी थीं. कहते भी है कि लोग अपने दुख से कम, पड़ोसी के सुख से ज्यादा दुखी होते हैं. एक उक्ति है, ‘पाप से लक्ष्मी घटे, दुख से घटे शरीर..’ भई, मोटापा घटाना है, तो दुखी होना ही होगा. और आपके दुखी होने के लिए आपके पड़ोसी का आपसे ज्यादा समृद्ध व सुखी होना जरूरी है.

आजकल मेरे एक शुभचिंतक भी अपनी श्रीमतीजी का ताप झेल रहे हैं. पड़ोसी की बीवी को कान में सोने की बाली, नाक में नथुनी, हाथ में सोने की चूड़ियां, सिकड़ी, मांगटीका, चार उंगलियों में सोने-हीरे की अंगूठियां पहन झमकाती हुई बाजार जाते देख उनकी श्रीमतीजी का दिल जल रहा है. बोलीं- ‘‘ऐसी नौकरी क्यों करते हो कि मेरे लिए सोने की चूड़ी नहीं खरीद सकते.

पांडेजी की पत्नी झमका कर मुझे दिखा रही हैं. तुमसे अच्छे तो पांडेजी हैं. क्लर्क की नौकरी कर पत्नी के तमाम शौक पूरे कर रहे हैं.’’ बेचारे बीवी की बातों का जहर पीते रहे. उसे क्या मालूम कि पांडेजी पगार से अधिक धनाजर्न के लिए क्या-क्या करते हैं. कितना पाप अपने सिर लेते हैं.

एक सेवानिवृत्त शिक्षक की पेंशन बनाने तक के लिए घूस लेनी पड़ती है. बेचारे 62 साल के मास्टर को दर्जनों बार दौड़ाना पड़ता है, तब जेब में नोट का बंडल आता है. इस पाप की कमाई से पांडेजी की पत्नी झमकाती हैं और बच्चे घी-मक्खन खाते हैं. वे पत्नी को समझाने का प्रयास करने लगे, ‘‘सुखी वही होता है, जिसे संतोष होता है.’’ पत्नी बड़बड़ाते हुए टीवी ऑन करती हैं.

ब्रेकिंग न्यूज चल रही है. उत्तराखंड में भरभरा कर घर गिर रहे हैं. लोग बह रहे हैं. जीवन भर की कमाई बह रही है. चारों ओर तबाही ही तबाही. इस प्रलय में जो लोग बचे, उनके पास बची है सिर्फ उनके भीतर की संपत्ति.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें