अखबारों में गाहे-बगाहे खबरों के साथ एक शीर्षक देखा-पढ़ा जाता है, शादी का झांसा देकर यौन शोषण किया. अखबारों में इस शीर्षक के साथ खबर यह होती है कि फलां जगह पर फलां युवक ने फलां युवती को शादी का प्रलोभन देकर यौन संबंध बनाये और जब शादी की बात आयी, तो वह मुकर गया. ठीक यही कथन फिट बैठता है झारखंड में नियुक्ति के संबंध में.
नौकरी का झांसा देकर सरकार लगातार बेरोजगारों की मनोदशा का फायदा उठाती है. राज्य की हर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू तो होती है, पर तय समय पर पूरी नहीं हो पाती है. प्रत्येक नियुक्ति में कोई न कोई पेच विशालकाय राक्षस के समान खड़ा हो जाता है.
वर्ष 2011 की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में 8042 सफल उम्मीदवारों के साथ तो अन्याय हुआ ही, पर शायद इस वर्ष की नियुक्ति में भी सरकार यही रवैया अपनाने की तैयारी में जुटी है. राज्य में शायद ही ऐसी कोई नियुक्ति हुई हो, जिसमें न्यायालय का सहारा न लिया गया हो. अब युवा मुख्यमंत्री से उम्मीद की जा सकती है कि वे अपने स्तर से शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को रफ्तार देने की कोशिश करेंगे.
।। माणिक मुखर्जी ।।
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