क्या सरकार को हादसे का इंतजार है?

* श्रावणी मेले में बदइंतजामी देवघर का देश-दुनिया में प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हो चुका है. इस बार यह मेला नयी व्यवस्था के नाम पर हो रही बदइंतजामी के कारण सुर्खियों में हैं. मेले में सुविधा पास के नाम पर बाबा के भक्तों को जिन असुविधाओं से गुजरना पड़ रहा है, उससे यह साफ है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2013 3:29 AM

* श्रावणी मेले में बदइंतजामी

देवघर का देश-दुनिया में प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हो चुका है. इस बार यह मेला नयी व्यवस्था के नाम पर हो रही बदइंतजामी के कारण सुर्खियों में हैं. मेले में सुविधा पास के नाम पर बाबा के भक्तों को जिन असुविधाओं से गुजरना पड़ रहा है, उससे यह साफ है कि नयी तरह की व्यवस्था लागू करनेवाले प्रशासनिक अधिकारियों के पास जमीनी अनुभव नहीं है.

कंप्यूटर पर तैयार योजना को जिला प्रशासन अमल में नहीं ला पा रहा है, जिसका खमियाजा बाबा वैद्यनाथ के भक्तों को भुगतना पड़ रहा है. भक्तों पर सुरक्षा बलों के जवान लाठियां भांज रहे हैं. उधर, जिला प्रशासन तरह-तरह के दावे करके अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है. पर्यटन विभाग बाबा वैद्यनाथ का हवाई दर्शन, हवाई वंदना जैसी हवा-हवाई योजनाएं चलाने के प्रचार में ही व्यस्त है.

यह तो शुक्र है कि शुक्रवार को श्रावणी मेला में हो रही बदइंतजामी का मामला विधानसभा में उठा है. सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि जल्द ही व्यवस्था को ठीक कर लिया जायेगा. यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले सोमवार तक श्रावणी मेले का इंतजाम ठीकठाक हो जायेगा. लेकिन अब तक बाबा के भक्तों को जो परेशानी हुई है, उन परेशानियों के कारणों पर गौर करने की भी जरूरत है.

पहली बार सावन में बाबा वैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों की भीड़ को कम करने के इरादे से अर्घा सिस्टम लागू किया गया है. यह सिस्टम अच्छा भी है. लेकिन इस सिस्टम के साथ ही पहली बार सुविधा पास की नयी व्यवस्था को बिना किसी रिहर्सल के साथ लागू कर दिया गया है.

सुविधा पास के लिए भक्तों से दस रुपये की फीस भी ली जा रही है. इस पूरी व्यवस्था को इतनी हड़बड़ी में लागू किया गया है कि भक्तों को इसकी पूरी जानकारी नहीं है. सबसे ज्यादा परेशानी महिला भक्तों को हो रही है. महिलाओं के लिए अलग से लाइन का इंतजाम नहीं है. इसके अलावा लाइन में खड़े होनेवाले भक्तों के लिए न तो छांव का इंतजाम किया गया और न ही पीने का पानी ही उन्हें मुहैया कराया जा रहा है.

जबकि श्रावणी मेला की तैयारियों के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का बजट खर्च होता है. आखिर सरकार मेला प्राधिकारण जैसा कोई स्थायी इंतजाम क्यों नहीं करती है, ताकि बाबाधाम में भक्तों के लिए अच्छी व्यवस्था के लिए उत्तरदायी संस्थान बनें.

बाबाधाम की तरह ही बड़ी तादाद में शिवभक्त अमरनाथ जैसे दुर्गम तीर्थस्थल की यात्रा करते हैं, पर वहां इंतजाम इतना चौकस है कि कभी अव्यवस्था की खबर नहीं मिलती. इससे सीखने की जरूरत है.

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