पिछड़े राज्यों पर भी विशेष ध्यान जरूरी

पूवरेत्तर के विकास की नीति को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि आठ केंद्रीय मंत्री हर पखवाड़े यहां की यात्र करेंगे. पूवरेत्तर के आठ राज्यों- असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम- में देश की तीन फीसदी से अधिक आबादी रहती है. प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विविधता व पर्यटन की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2015 5:47 AM
पूवरेत्तर के विकास की नीति को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि आठ केंद्रीय मंत्री हर पखवाड़े यहां की यात्र करेंगे. पूवरेत्तर के आठ राज्यों- असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम- में देश की तीन फीसदी से अधिक आबादी रहती है.
प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विविधता व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बावजूद यह क्षेत्र अविकसित एवं हिंसाग्रस्त है. इलाके की 98 फीसदी सीमा पड़ोसी देशों से लगने के कारण इसका सामरिक महत्व भी है. पूवरेत्तर के विकास के लिए 2001 में केंद्र ने अलग विभाग का गठन किया था, जिसे 2004 में मंत्रलय बनाया गया. आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने इन राज्यों पर विशेष ध्यान देने का वादा किया था.
अब इस दिशा में कदम बढ़ाना सराहनीय है और उम्मीद है कि इसके अच्छे नतीजे दिखेंगे. पर, पूवरेत्तर के साथ-साथ प्रधानमंत्री को पूर्वी राज्यों के विकास के वादे पर भी ध्यान देने की जरूरत है. चुनाव के दौरान, और सत्ता में आने पर राज्यसभा में भी, उन्होंने पूर्वी व पश्चिमी राज्यों के बीच भारी असमानता का जिक्र करते हुए कहा था कि ‘भारत माता का एक हाथ मजबूत व दूसरा कमजोर रहेगा, तो देश का विकास नहीं हो सकता’. 2010 में संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से हुए अध्ययन में पाया गया था कि पूर्वी राज्यों- बिहार, झारखंड, बंगाल और उड़ीसा सहित देश के आठ राज्यों में अफ्रीका के गरीब इलाकों से भी अधिक गरीब रहते हैं.
साथ ही, ग्रामीण बिहार में जहां 80 फीसदी लोग गरीब थे, वहीं केरल में यह संख्या मात्र 16 फीसदी थी. ऐसे में पलायन इन राज्यों के युवाओं की नियति बन गयी है. मानव विकास के मानकों पर ये राज्य राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं. बिहार में पिछले कुछ वर्षो से दो अंकों की विकास दर और औद्योगिक व कृषि उत्पादन में अच्छी वृद्धि के बावजूद, प्रति व्यक्ति आय बड़े राज्यों में सबसे कम है.
आगे बढ़ने के लिए पूर्वी राज्य केंद्र से विशेष सहायता की मांग करते रहे हैं. ये राज्य मानव संसाधन व प्राकृतिक संपदा संपन्न होने के कारण देश के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं. इसलिए केंद्र सरकार को विकास की अपनी पहलों का विस्तार करते हुए, राजनीतिक लाभ-हानि का हिसाब लगाये बिना, पूर्वी राज्यों की वाजिब मांगों पर भी तुरंत ध्यान देना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version