प्रेमी-प्रेमिका संवाद नयी उपमाओं के साथ-2
।। सत्य प्रकाश चौधरी ।। (प्रभात खबर, रांची) सावन ‘खाद्य सुरक्षा अध्यादेश’ की तरह पिछले दरवाजे से आ चुका है. दोनों में गोली कम और कट्टे ज्यादा हैं. यानी, बारिश कम और बादल ज्यादा हैं, और राशन कम और ‘रोशनी’ ज्यादा है. टीवी हो या अखबार, झारखंड हो या बिहार, सावन हर तरह शिव–मय है, […]
।। सत्य प्रकाश चौधरी ।।
(प्रभात खबर, रांची)
सावन ‘खाद्य सुरक्षा अध्यादेश’ की तरह पिछले दरवाजे से आ चुका है. दोनों में गोली कम और कट्टे ज्यादा हैं. यानी, बारिश कम और बादल ज्यादा हैं, और राशन कम और ‘रोशनी’ ज्यादा है. टीवी हो या अखबार, झारखंड हो या बिहार, सावन हर तरह शिव–मय है, जैसे भाजपा ‘मोदी–मय’ है. बिल्कुल ‘एकोहम द्वितीयो नास्ति’ वाला माहौल है.
गणेश के डैडी हमसे न भंगिया पिसाई.. का शोर है, लेकिन सावन–कजरी सुषमा स्वराज की तरह खामोश है. तुम्हारे बिना, सावन की रातें मेरे लिए सारण का ‘मध्याह्न्’ बन गयी हैं. पर तुम्हारे पिता जी हमारे रिश्ते की बात पर यूं बिदक जाते हैं, जैसे नीतीश कुमार का नाम सुनते ही भाजपाई. उन्हें समझाओ की आखिर मैं कब तक इंतजार करूंगा? मैं कोई राहुल गांधी तो हूं नहीं कि 43 साल की उम्र में भी ‘युवा’ कहलाऊंगा!
माना कि तुम ‘100 टका टंच माल’ हो और मैं दिग्विजय सिंह का बजता हुआ गाल. तुम श्रीनिवासन की तरह कमाल हो और मैं श्रीसंत की तरह बेहाल. तुम अमेरिकी वीजा हो और मैं सीताराम येचुरी का ठुकराया हुआ दस्तखत. लेकिन अपने ‘रांझणा’ का दिल भी तो देखो. अपने पिता जी को समझाओ कि ज्यादा भाव न खायें, ‘आम’ टाइप दामाद से काम चला लें, नहीं तो बाद में ‘बाप’ टाइप मिलेगा (‘बाप’ का सिरदर्द क्या है, जाकर केजरीवाल से पूछें). क्यों न हम लोग भाग चलें? ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ आने वाली है, उसी पर सवार हो जाते हैं. पर डर लगता है कि कहीं मैं भी इलावरासन की तरह रेल की पटरी पर पड़ा न मिलूं.
तुम्हारा प्रेमपत्र आडवाणी जी के वापस हुए त्यागपत्र की तरह है.. दर्द से भरा. पर तुमको तो मालूम ही है कि आजकल दर्द का भाव रुपये से भी ज्यादा गिरा हुआ है. बार–बार तुम शादी के लिए गिड़गिड़ाया न करो. ‘बलम पिचकारी’ के जमाने में ‘बलम भिखारी’ अच्छा लगता है भला! आखिर तुमने अपने दिल को सुशासन बाबू की तरह इतना कमजोर क्यों कर लिया है कि रुसवाई के डर से जमाने के सामने आ न सको.
दिल का बच्च होना तो ठीक है, पर उसे ‘कुत्ते का बच्चा’ न बनने दो, वरना कभी भी मोदी टायर के नीचे कुचल सकता है. अपने दिल को मजबूत बनाओ राज बब्बर की तरह, जो छाती ठोंक कर कह सके कि मुंबई में 12 रुपये में भरपेट खाना मिलता है. खैर, तुम अपना दिल संभालो, मैं पिता जी को संभालती हूं, जैसे विराट कोहली ने जिम्बाब्वे को संभाला है.
नहीं मानेंगे तो खुद पछतायेंगे, हम लोग भाग गये, तो सेंसेक्स की तरह लुढ़क जायेंगे. मैं झामुमो और कांग्रेस की मोहब्बत की कसम खाकर कहती हूं कि हमारी–तुम्हारी शादी होकर रहेगी. और ठंड रखो यार! शादी ही तो है, कोई तेलंगाना का मुद्दा थोड़े है कि 70 साल से सुलझने का नाम न ले.