संसाधनों की लूट के खिलाफ कदम

झारखंड की दुर्दशा के लिए यदि प्रदेश के संसाधनों का दुरुपयोग कोई वजह है, तो इसके लिए राज्य में रही सरकारें भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. बालू घाटों की बंदोबस्ती के रूप में यह मामला हेमंत सरकार के कार्यकाल में बखूबी उजागर हुआ था. सारे विवादों के बावजूद इस सरकार ने एड़ी-चोटी को जोर लगा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2015 6:29 AM

झारखंड की दुर्दशा के लिए यदि प्रदेश के संसाधनों का दुरुपयोग कोई वजह है, तो इसके लिए राज्य में रही सरकारें भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. बालू घाटों की बंदोबस्ती के रूप में यह मामला हेमंत सरकार के कार्यकाल में बखूबी उजागर हुआ था. सारे विवादों के बावजूद इस सरकार ने एड़ी-चोटी को जोर लगा कर राज्य के 150 बालू घाटों की बंदोबस्ती माटी के मोल बाहरी कंपनियों को कर दी थी. लेकिन बंदोबस्ती के तत्काल बाद से ही बालू उठाव में अंधेरगर्दी की शिकायतें मिलनी शुरू हो गयी थीं. इस आलोक में मंगलवार का दिन बड़ा ही निर्णायक रहा.

अनुमंडल तथा खान अधिकारियों की रिपोर्टो से अनियमितता उजागर होने पर मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बालू घाटों की बंदोबस्ती निरस्त करने संबंधी आदेश पहले ही दे दिया था. मंगलवार को नामकुम और खूंटी के बालू घाटों के खान सचिव अरुण द्वारा औचक निरीक्षण के बाद मामले में बड़ा मोड़ आया. अंतत: मुख्यमंत्री के आदेश के आलोक में राज्य के 150 बालू घाटों की बंदोबस्ती निरस्त कर दी गयी.

खान विभाग ने संबंधित एजेंसियों से चालान वापस लेने को कह सख्ती का संकेत भी दे दिया है. खान सचिव का अवलोकन बताता है कि सभी बालू घाटों से बगैर पर्यावरण अनापत्ति के बालू उठाव हो रहा था. शिकायत तो प्रति सौ घन फुट बालू के रेट में मनमानी की भी थी. लघु खनिज समनुदान नियमावली के विपरीत बालू उठाव से काम में लगी एजेंसियों के दुस्साहस का पता चलता है.

यह अलग बात है कि हेमंत सरकार का बस चलता तो सभी घाटों की नीलामी ऐसी ही एजेंसियों को कर दी जाती. झारखंड के 12 जिलों में कुल 654 बालू घाट हैं. इस मामले के बाद प्रमंडलवार स्थिति का जायजा लेकर इन बालू घाटों की नीलामी की बात कही जा रही है. सरकार का यह कदम किसी सकारात्मक परिणाम और प्रभाव तक तभी जा सकता है जब यह कदम राजनीतिक न होकर, सुनीति से प्रेरित हो. जहां कहीं भी संसाधनों की लूट है, उस पर रोक नहीं लगी, तो सरकार का यह कदम प्रतीकात्मक बन कर रह जायेगा. वैसे सरकार ने पर्यावरण मंजूरी के लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार का गठन का संकेत देकर आश्वस्त करने की कोशिश की है.

Next Article

Exit mobile version