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निजी बसों का परिचालन हो अनुशासित
झारखंड में मनमाने तरीके से निजी बसों का संचालन किया जा रहा है. सुरक्षित यात्र और किराये में कमी के नाम पर सवारियों को ठगा जा रहा है. निजी बसों के संचालक मनमानी कर रहे हैं, तो सरकार मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रही है. बीच रास्ते में ही सवारियों को उतार दिया जाता […]
झारखंड में मनमाने तरीके से निजी बसों का संचालन किया जा रहा है. सुरक्षित यात्र और किराये में कमी के नाम पर सवारियों को ठगा जा रहा है. निजी बसों के संचालक मनमानी कर रहे हैं, तो सरकार मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रही है. बीच रास्ते में ही सवारियों को उतार दिया जाता है, उनकी जान-माल को लेकर न तो मालिकों और न ही सरकार को चिंता है.
डीजल-पेट्रोल और गैस के बढ़ते दामों के नाम पर लोगों को सरेराह लूटा जा रहा है. सरकारी स्तर पर डीजल-पेट्रोल और गैस की कीमतों में कमी कर दी गयी है, लेकिन बस संचालकों ने अब भी किराये में कमी नहीं की है. आज भी मनमाने तरीके से किराये की वसूली की जा रही है. आज तक सरकार की ओर से कोई ऐसे निकाय का गठन नहीं किया गया है, जो मनमाने संचालकों पर नकेल कस सके. सरकार इस पर ध्यान दे.
अनूप कुमार सिन्हा, रांची
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