चुप्पी नहीं, मुंहतोड़ जवाब देने का वक्त
विगत 21 जुलाई को मीडिया में खबर आयी कि दिनांक 20 जुलाई, 2013 को चुमार क्षेत्र में चीन के सैनिक भारतीय सीमा में पांच किलोमीटर भीतर तक प्रवेश कर आये थे. इस अतिक्रमण का भारतीय सैनिकों ने जो विरोध किया, वह काबिल–ए–तारीफ था. विपक्षी सैनिकों की झूठी भूख को जूस पिला कर मिटाना व खदेड़ […]
विगत 21 जुलाई को मीडिया में खबर आयी कि दिनांक 20 जुलाई, 2013 को चुमार क्षेत्र में चीन के सैनिक भारतीय सीमा में पांच किलोमीटर भीतर तक प्रवेश कर आये थे. इस अतिक्रमण का भारतीय सैनिकों ने जो विरोध किया, वह काबिल–ए–तारीफ था. विपक्षी सैनिकों की झूठी भूख को जूस पिला कर मिटाना व खदेड़ कर भगा देना सद्भाव व सख्ती को दर्शाता है.
चीन को समझना चाहिए कि भारत अब 1962 वाला देश नहीं रहा. वह पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर व चौंकन्ना है. इसी प्रकार हमें सीमा अतिक्रमण का कड़ा प्रतिरोध दिखाना चाहिए, ताकि चीन व पाकिस्तान जैसे लोग हमको कमजोर समझने की भूल न करें. सैनिकों की यह कार्रवाई हम भारतीयों को गर्व का अहसास कराती है. लेकिन पता नहीं कब हमारी सरकार यह बात समझ पायेगी, जो पड़ोसी मुल्क की किसी नाफरमानी का जवाब तक सीधे मुंह से नहीं देती है. और इसी का नतीजा है कि ये देश तो ठीक, टुच्चे से दिखनेवाले देश भी हमें आंखें दिखाने से बाज नहीं आते. यह हमारी विदेश नीति की चूक है कि हमारी चुप्पी को दुश्मन कमजोरी समझते हैं.
।। एचके मिश्र ।।
(चतरा)