महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक
झारखंड में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है. इनके कल्याण हेतु योजनाएं तो बहुत बनायी जाती हैं, पर इसका सटीक क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. यहां की ज्यादातर महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. कई स्वास्थ्य योजनाएं राज्य में चल रही है, पर इसका कोई विशेष फायदा महिलाओं को नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है […]
झारखंड में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है. इनके कल्याण हेतु योजनाएं तो बहुत बनायी जाती हैं, पर इसका सटीक क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. यहां की ज्यादातर महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. कई स्वास्थ्य योजनाएं राज्य में चल रही है, पर इसका कोई विशेष फायदा महिलाओं को नहीं मिल रहा है.
स्थिति यह है कि महिलाओं को उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गयी योजनाओं की जानकारी भी नहीं है. वे इन योजनाओं का लाभ उठाने से हमेशा वंचित रह जाती हैं.
यहां की महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास प्रगति नहीं कर पायी हैं. शिक्षण संस्थानों में सुविधाओं का सर्वथा अभाव है. यहां की महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा भी भगवान भरोसे ही है. न जाने कितनी दामिनियों की चीखें अनसुनी रह जाती हैं और वह सख्त दीवारों से बाहर नहीं निकल पाती हैं. सरकार और सरकार से जुड़े लोगों को महिलाओं की इस समस्या के निराकरण के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा. योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रमंडल और प्रखंड स्तर पर बुनियादी सुविधाओं का सुचारू रूप से संचालन करना होगा.
उन्हें सुरक्षित सामाजिक माहौल उपलब्ध कराने के लिए ग्राम स्तर पर आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना होगा. बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे संस्थानों का संचालन करना होगा, जो उन्हें आर्थिक तौर मजबूत बना सकें. रोजगार के क्षेत्र में उन्हें पहले की अपेक्षा अधिक सुविधाएं मुहैया करानी होंगी तथा जिला मुख्यालयों में उन्हें सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना होगा. हालांकि सरकार की ओर से यह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है, पर सारी योजनाएं कहीं बीच राह में ही रुक जाती हैं.
पूनम गुप्ता, मधुपुर