चाहता हूं कि तुङो कुछ और भी दूं

शैलेश कुमार प्रभात खबर,पटना जब मुङो गणतंत्र दिवस पर मेडल देकर मेरी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया, उस समय मेरे दिमाग में बस यही बात चल रही थी.. तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित. चाहता हूं देश की धरती, तुङो कुछ और भी दूं, तुङो कुछ और भी दूं. मेरी यह इच्छा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2015 5:44 AM

शैलेश कुमार

प्रभात खबर,पटना

जब मुङो गणतंत्र दिवस पर मेडल देकर मेरी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया, उस समय मेरे दिमाग में बस यही बात चल रही थी.. तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित. चाहता हूं देश की धरती, तुङो कुछ और भी दूं, तुङो कुछ और भी दूं. मेरी यह इच्छा चौबीस घंटे के अंदर हकीकत में बदल गयी और कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए मैंने भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते दे दी.

मेरा भी नाम उन अमर शहीदों की लिस्ट में जुड़ गया, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद तक और अब तक देश की रक्षा के लिए लड़ते हुए अपना जीवन कुरबान कर दिया. मेरी आत्मा बहुत खुश है कि मेरी शहादत पर पूरा देश रो पड़ा है. मेरे परिवार वालों को मुझ पर गर्व है और मेरे बेटे-बेटियों ने भी फौज में ही शामिल होने का प्रण लिया है. मेरे लिए इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है कि मेरा पूरा परिवार इस देश के काम आ जाये. मुङो अंतिम श्रद्धांजलि देते समय मेरी बेटी ने बड़ी बहादुरी दिखाई. मुङो सैल्यूट करते हुए उसने बुलंद आवाज में जब जय हिंद बोला, तो मेरी आत्मा ने खुद पर गर्व महसूस किया कि उसने जीवन के 39 साल उस परिवार, उस समाज, उस देश के साथ बिताये, जहां देश के लिए कुरबानी तो रग-रग में बसी है.

हां, बेटी का धैर्य थोड़ी देर के लिए टूट जरूर पड़ा और वह फफक-फफक कर रो पड़ी, लेकिन इसमें उसकी कोई गलती नहीं है. आखिर उसने अपना बाप खोया है. पर मुङो विश्वास है कि मेरे परिवार पर इसका कोई फर्कनहीं पड़ेगा. यदि जरूरत पड़ी, तो इस मुल्क की सरकार, इस देश की जनता कठिन परिस्थितियों में मेरे परिवार के साथ खड़ी होगी. जिंदा रहते हुए मैंने भी लोगों को अपने देश की बुराई करते देखा. सरकार की निंदा करते देखा.

राजनीतिक व्यवस्था में खामियां निकालते देखा, लेकिन मैंने इन खामियों में भी वह रास्ता देखा और चुना, जिसने मुङो देश के लिए कुछ करने का मौका दिया. खामियां तो हमेशा रही हैं और आगे भी रहेंगी, लेकिन यदि उनसे लड़ते हुए उन्हें दूर करने का संकल्प नहीं लिया, तो यह जीवन किस काम का? मैं नहीं जानता कि आखिर इन आतंकियों का किसी ने क्या बिगाड़ा है कि वे अपने ही जैसे इनसानों के खून के प्यासे हो गये हैं, लेकिन यह बात जरूर है कि मानवता की रक्षा करनेवाले वीर हमेशा उन पर हावी ही रहेंगे, क्योंकि मारनेवाले से बचानेवाला हमेशा ही बड़ा होता है.

मैं जानता हूं कि मेरी शहादत बेकार नहीं जायेगी. मैंने जितने तन-मन-धन से इस मातृभूमि की सेवा की है, मेरे देशवासी उससे प्रेरित होकर जरूर अपने-अपने तरीके से अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयास करेंगे. राष्ट्र भक्ति ले हृदय में, हो खड़ा यदि देश सारा. संकटों को मात कर यह, राष्ट्र विजयी हो हमारा. मैं फिर जन्म लूंगा इसी पावन धरा पर इसी की रक्षा करते हुए खुद को न्योछावर करने के लिए. इस बार जरूर मेरे देश में देशभक्तों की तादाद पहले से भी ज्यादा दिखेगी.

Next Article

Exit mobile version