पूरे देश में ब्यूरोक्रेसी एक जैसी, सवाल केवल बेस्ट एफर्ट का है
प्रभात खबर से विशेष बातचीत में राज्य के मुख्य सचिव राजीव गौबा बोले केंद्र सरकार में अच्छे अधिकारी की छवि रखने वाले राजीव गौबा राज्य के 19 वें मुख्य सचिव हैं. स्कूली पढ़ाई से लेकर कैरियर तक के सफर में झारखंड से नाता रहा है. पिता रांची एजी ऑफिस में कार्यरत थे, सो प्रारंभिक शिक्षा […]
प्रभात खबर से विशेष बातचीत में राज्य के मुख्य सचिव राजीव गौबा बोले
केंद्र सरकार में अच्छे अधिकारी की छवि रखने वाले राजीव गौबा राज्य के 19 वें मुख्य सचिव हैं. स्कूली पढ़ाई से लेकर कैरियर तक के सफर में झारखंड से नाता रहा है. पिता रांची एजी ऑफिस में कार्यरत थे, सो प्रारंभिक शिक्षा रांची से भी हुई.
एम्स में एडमिशन के बाद एक सेमेस्टर तक पढ़ाई कर छोड़ दी. फिर पटना साइंस कॉलेज से एमएससी करने के दौरान ही पहले प्रयास में यूपीएससी के लिए चुने गये. नालंदा, मुजफ्फरपुर और गया में डीएम रहे. रक्षा मंत्रलय में केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नाडिस के साथ रहे. केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के बाद अमेरिका में प्रतिनियुक्ति हो गयी. केंद्र सरकार में श्री गौबा की अंतिम पोस्टिंग गृह मंत्रलय में थी. रघुवर दास की सरकार में श्री गौबा को मुख्य सचिव बनाया गया.
14 वर्षो के झारखंड को लेकर गवर्नेस के मोरचे पर सवाल उठते रहे हैं. लंबे समय से राज्य के बाहर रहे गौबा के सामने बड़ी चुनौतियां हैं. ध्वस्त सिस्टम को दुरुस्त करना है. प्रभात खबर के विवेक चंद्र ने अफसरशाही, सरकार के कामकाज और नयी चुनौतियों पर बातचीत की. पेश है प्रमुख अंश.
राज्य गठन के बाद आप कभी झारखंड नहीं आये. सीधे मुख्य सचिव के रूप में आने का फैसला किया. क्यों?
बिल्कुल गलत बात है. मैं झारखंड में लंबे समय तक रहा हूं. अमेरिका में प्रतिनियुक्ति से वापस लौटने के बाद मैं झारखंड सरकार के लिए ही काम कर रहा था. दिल्ली में स्थानीक आयुक्त के रूप में वर्ष 2005 से लगभग साढ़े तीन सालों तक मैं पदस्थापित रहा. मैंने नहीं कहा था कि मेरी पोस्टिंग दिल्ली की जाये. पर, तत्कालीन सरकार ने मुङो दिल्ली में ही पदस्थापित करना बेहतर समझा.
लेकिन, अपने दिल्ली पदस्थापन के दौरान मैं झारखंड सरकार और सरकार के कार्यो से पूरी तरह से परिचित रहा. स्थानीक आयुक्त के रूप में मैं केंद्र सरकार द्वारा चलायी जाने वाली राज्य की सभी योजनाओं के मामलों से अवगत हुआ. झारखंड का समन्वय केंद्र से बैठाने पर काम किया. अब फिर झारखंड आया हूं. काम करूंगा.
बेहतर प्रशासन के लिए आप किन बातों को प्राथमिकता देंगे?
प्राथमिकताएं तय करना मेरा काम नहीं है. देखिये, ब्यूरोक्रेसी का काम दिये गये निर्देशों को शांति से पूरा करने का है. झारखंड में सरकार प्राथमिकताएं तय कर चुकी है. मुख्यमंत्री के निर्देशों पर काम करने की मेरी जिम्मेवारी है. मैं सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतराने के लिए काम करूंगा. यही मेरी प्राथमिकता है.
झारखंड के लिए मुख्य सचिव के रूप में आप अपने सामने कौन सी चुनौतियां देखते हैं?
मेरी चुनौतियां राज्य में चल रही सरकारी योजनाओं को पूरी मुस्तैदी के साथ लागू कराने की है. विकास योजनाओं की राशि खर्च करने की है. योजनाओं की बेहतर मॉनीटरिंग व्यवस्था तैयार करने की है. पानी, बिजली जैसे समस्याओं से निजात पाने की है.
झारखंड में ब्यूरोक्रेसी पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. ब्यूरोक्रेसी के मुखिया होने के नाते इसे कैसे ठीक करेंगे?
मैं पिछली बातों पर नहीं जाना चाहता. मेरी समझ में पूरे देश में ब्यूरोक्रेसी एक जैसी है. सबका अंदाज एक है. झारखंड के ब्यूरोक्रेट भी कुछ अलग नहीं हैं. यहां काफी अच्छे ब्यूरोक्रेट हैं. कुछ औसत भी होंगे, लेकिन सवाल बेस्ट एफर्ट का है. बेस्ट एफर्ट ही बेस्ट यूज करा सकता है. मेरी कोशिश टीम एफर्ट के साथ बेहतर काम करने और कराने की है.
भ्रष्टाचार के आरोप होने पर भी बड़े अफसरों पर कार्रवाई नहीं होती. एक भी आरोपी आइएएस पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई. अब होगी क्या?
मैं इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा. पहले क्या हुआ, या होता था मुङो उस पर कुछ नहीं कहना. मुख्यमंत्री के निर्देश पर बेहतर प्रशासनिक माहौल तैयार किया जायेगा. इसी के लिए काम होगा.
ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार की कई कहानियां हैं. सुधार के लिए कोई नयी पहल करेंगे?
पहले का मुङो नहीं पता. अब तो मामला साफ है. ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं. उनके निर्देशों का पूरी कड़ाई से पालन होगा. व्यवस्था पारदर्शी होने से चीजें दुरुस्त होती हैं. निर्धारित मापदंडों के मुताबिक ही तबादले करेंगे.
राज्य के गांवों में कोई डॉक्टर, इंजीनियर, यहां तक की बीडीओ-सीओ भी नहीं रहना चाहते. कैसे निबटेंगे?
इसमें निबटने जैसी कोई बात नहीं है. मैंने कहा कि सरकार के फैसलों को बेहतर तरीके से लागू करना और कराना ही ब्यूरोक्रेसी का काम है. सरकार जिसकी पोस्टिंग जहां करेगी, उसे वहीं काम करना होगा. सरकार के फैसले के बाद पदाधिकारी के नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता है. हर सरकारी पदाधिकारी को उसके पदस्थापन स्थल पर जाना ही होगा.
कई बार अफसर के तबादले का फर्क योजनाओं पर भी पड़ता है. इ-गवर्नेस के लिए उठाये गये कई कदम थम गये लगते हैं. ऐसा है क्या?
नहीं, बेहतर चीजों को रोका नहीं जाता है. काम सिस्टम करता है. पहले से चल रही योजनाओं और कार्यो को रोकने का कोई सवाल नहीं है. प्रक्रिया को और बेहतर बनाया जायेगा. इ-गवर्नेस के लिए भी सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं. उनको तेजी से पूरा किया जा रहा है.
उग्रवाद राज्य की बड़ी समस्या है. आप रक्षा और गृह मंत्रलय में लंबे समय तक रहे हैं. उग्रवाद खत्म करने के लिए क्या करेंगे?
इस पर कोई बात नहीं करूंगा. सरकार अपना काम कर रही है. उग्रवाद को लेकर मैंने भी कई बैठकें की है. योजनाओं पर काम किया जाता है, उनका खुलासा नहीं किया जाता. समय आने पर पता चल ही जायेगा.
जमीन का अधिग्रहण राज्य के लिए बड़ी समस्या है. इससे निजात पाने के लिए आपने कुछ सोचा है?
जमीन अधिग्रहण के बारे में कानून बड़े स्पष्ट हैं. केंद्र सरकार ने भी हाल में ही जमीन अधिग्रहण की नीति तैयार की है. हमारा काम नीति को लागू कराने का है. हमेशा से यही होता रहा है. पर, कई बार सरकार के फैसले के मुताबिक अधिग्रहण की प्रक्रिया काफी सुस्त हो जाती है. मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार काम में तेजी लायी जायेगी. कोशिश रहेगी कि जमीन अधिग्रहण की वजह से कोई काम नहीं लटके.
राज्य में सरकारी योजनाओं का हाल बुरा है. कैसे ठीक होगा?
ऐसा नहीं है. कई योजनाओं में झारखंड ने काफी बेहतर काम किया है. इ-गवर्नेस में केंद्र सरकार राज्य को पुरस्कृत कर चुकी है. इसी तरह कई योजनाओं में झारखंड राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. योजनाओं को और बेहतरी के साथ लागू करने के लिए काम किया जा रहा है.
सरकार की डिलिवरी सिस्टम काफी लचर है. बेहतर करने की कोई योजना?
देखिये, डिलिवरी का मतलब सेवा से है. सरकार की सेवाएं हर क्षेत्र में है. राशन से लेकर सड़क निर्माण तक में. सभी चीजों पर काम चल रहा है. निकट भविष्य में बेहतर परिणाम मिलेगा.
लॉ एंड ऑर्डर में सुधार के लिए क्या नीति होगी?
मैं नीतियां तय नहीं करता. पहले ही बता चुका हूं कि ब्यूरोक्रेसी सरकार के निर्देशों को पूरा करने के लिए काम करती है. मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार काम होगा.