उनकी शहादत को सम्मान का इंतजार

।।कैप्टन कालिया की शहादत।।कैप्टन सौरभ कालिया की शहादत को 13 साल हो गये, पर इससे जुड़े कुछ सवाल अब भी अनुत्तरित हैं. एक सवाल यह है कि कैप्टन कालिया के शव के साथ बर्बरता का दोषी कौन है और उसे कोई सजा अब तक क्यों नहीं मिली? करगिल युद्ध की वर्षगांठ पर सीमा के आर-पार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2013 3:02 AM

।।कैप्टन कालिया की शहादत।।
कैप्टन सौरभ कालिया की शहादत को 13 साल हो गये, पर इससे जुड़े कुछ सवाल अब भी अनुत्तरित हैं. एक सवाल यह है कि कैप्टन कालिया के शव के साथ बर्बरता का दोषी कौन है और उसे कोई सजा अब तक क्यों नहीं मिली? करगिल युद्ध की वर्षगांठ पर सीमा के आर-पार भारत और पाकिस्तान नाम के दोनों राष्ट्र-राज्य एक-दूसरे पर विजय की शौर्यगाथाएं अपने-अपने तरीके से परोसते हैं.

इन कथाओं से वे अपने नागरिकों को समझाते हैं कि उनका राष्ट्र अनूठा है. पर कैप्टन कालिया की शहादत से जुड़े अनुत्तरित सवालों से इन शौर्यगाथाओं का झूठ सहसा उजागर हो जाता है. महज 23 साल के थे सौरभ कालिया, जब 1999 के मई महीने में उन्हें बटालिक के कसकर सेक्टर में पेट्रोलिंग पर लगाया गया था. तीन हफ्ते बाद खबर आयी कि पाक सेना ने उनका शव लौटाया है. ऑटोप्सी रिपोर्ट से पता चला कि कैप्टन कालिया को सैनिक की तरह नहीं मारा गया, बल्कि उनके साथ वह बरताव किया गया जो नरभक्षी हो चला कोई उन्मादी हैवान अपने शिकार के साथ करता है. युद्ध चाहे कितना भी अवांछित क्यों न हो, नैतिकता के कुछ नियमों से बंधा होता है. लेकिन कैप्टन को युद्ध के नियमों को ताक पर रख कर मारा गया, यह न तो पाकिस्तान स्वीकारता है और न ही इस तथ्य के अनुकूल भारत अपने शहीद सैनिक को इंसाफ दिलाने में कामयाब हुआ है.

पाकिस्तान चूंकि मानता ही नहीं कि करगिल युद्ध की शुरुआत उसकी सेना ने की थी, इसलिए वह कैप्टन कालिया की मौत में पाक सेना की भूमिका से इनकार करते आया है. हद यह है कि कैप्टन कालिया को मारने की बात पाक सेना का एक फौजी खुद स्वीकार रहा है, पर पाक सरकार अपनी टेक पर कायम है कि कैप्टन कालिया की मौत के जिम्मेवार मुजाहिद रहे होंगे, सैनिक नहीं. पाकिस्तान के एक मंत्री (रहमान मलिक) तो अपनी भारत यात्र के दौरान यह तक कह गये कि कैप्टन कालिया की मौत खराब मौसम के कारण हुई होगी. दूसरी तरफ, भारत सरकार कालिया को शहीद तो कहती है, पर यह शहादत जिस सम्मान एवं न्याय की मांग करती है उसके अनुकूल कोई तैयारी पिछले 13 सालों में सरकार ने नहीं दिखायी.

कैप्टन कालिया का परिवार इंसाफ के हर दरवाजे पर दस्तक दे आया है. उसकी मांग है कि कैप्टन कालिया के मौत के जिम्मेवार व्यक्ति को युद्ध अपराधी मान कर सजा दी जाये. अब जबकि कैप्टन कालिया मृत्यु के प्रसंग पर पड़ा परदा एक पाक सैनिक ने उठा दिया है, भारत सरकार को चाहिए कि वह अपने सैनिक की शहादत का सम्मान करते हुए दोषी को सजा दिलाने के प्रयास करे.

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