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रोटी की जगह अब मोबाइल चबाएंगे!

रफू मियां जोर-जोर से खबर बांच रहे थे ताकि अगल-बगल बैठे उनके यार-दोस्त ठीक से सुन-समझ सकें. ‘रिटायर्ड’ लोगों की यह ‘मित्र मंडली’ प्रतिदिन झुमरू चाय वाले के यहां पौ फटते ही इकट्ठी हो जाती है. रफू मियां इस टीम के मेठ (लीडर) हैं. क्योंकि उनको दूसरे का बोलना ‘अच्छा’ नहीं लगता इसलिए अखबार पढ़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2015 5:57 AM

रफू मियां जोर-जोर से खबर बांच रहे थे ताकि अगल-बगल बैठे उनके यार-दोस्त ठीक से सुन-समझ सकें. ‘रिटायर्ड’ लोगों की यह ‘मित्र मंडली’ प्रतिदिन झुमरू चाय वाले के यहां पौ फटते ही इकट्ठी हो जाती है. रफू मियां इस टीम के मेठ (लीडर) हैं. क्योंकि उनको दूसरे का बोलना ‘अच्छा’ नहीं लगता इसलिए अखबार पढ़ कर सुनाने का काम लीडर होने का फायदा उठाते हुए वे खुद ही करते हैं. राजनीतिक खबरों में उनकी दिलचस्पी अधिक है.

उच्चरण करते हुए शब्दों को लगभग चबाकर बोलते हैं. पहले पेज से शुरू होकर अब वे देश-विदेश पेज तक पहुंच चुके हैं. उनकी आंखें अचानक से चमक उठी. पहले बांची जा चुकी खबरों पर चर्चा को बीच में ही रोकते हुए वह जोर-जोर से बोलने लगे- ‘‘नौ महीने पुरानी सरकार के प्रधानमंत्री ने फिर एक नयी घोषणा कर दी है. मोदी ने मोबाइल फोन पर दुनिया ले आने का आह्वान करते हुए कहा है कि ई-गवर्नेस पर नजर डालते समय हमें पहले मोबाइल के बारे में सोचना चाहिए और इस प्रकार एम-गवर्नेस अर्थात ‘मोबाइल गवर्नेस’ को महत्व देना चाहिए.’’ मोबाइल की चर्चा सुनकर वहां बैठे रफू मियां की मित्र मंडली में ऐसी खलबली मच गयी मानो उन्हें किसी ने पत्थर दे मारा हो. झंझट दास कहने लगे ‘‘इस कलमुंहे मोबाइल ने तो जिंदगी हराम कर रखी है.

चिट्ठी-पत्री और शुभकामना संदेश को इतिहास की ओर धकेल दिया है. वहीं प्रेमी-प्रेमिकाओं की तो चांदी हो गयी, जब चाहे तब इश्क लड़ाओ. कुछ लोग रहते कहीं हैं, बताते कहीं और हैं. ये उल्लू बनाविंग का मुख्य साधन हो गया है.’’ इतने में सबसे किनारे बैठे पोपट लाल ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ‘‘सुना है आजकल मैसेज फॉरवर्ड करने से भगवान को प्रसन्न करने का प्रयोजन भी मोबाइल से होता है. लिखा रहता है – 11 या 21 लोगों को भेजो फिर देखो चमत्कार. चमत्कार तो होता है पर मैसेज फॉरवर्ड करने वाले के बैलेंस कम होने का.’’ मिसिर जी बोले ‘‘मोबाइल की माया तो इतनी निराली है कि लोगबाग मिस-कॉल देकर अपनी जवाबदेही से मुक्त हो जाते हैं. फोन लगाओ किसी को तो लगता है किसी और को.

कभी नेटवर्क फेल तो कभी बेमतलब बैलेंस गायब. किसी भी कंपनी का सिम लो, हालत सबकी एक जैसी ही है. जब मोबाइल पर बात ही ठीक से नहीं हो पाती तो और क्या होगा भला?’’ सभी बोल रहे थे पर सबसे अधिक मुखर शख्स मौन था. रफू मियां की चुप्पी सबको खलने लगी. किसी को भी इसका कारण समझ में नहीं आ रहा था. पोपट लाल ने अपने अंदाज में छेड़ा ‘‘क्या हुआ मियां तुम्हारी जुबान क्यों खामोश है, किसी ने सिम लॉक कर दिया क्या?’’ रफू मियां धीरे से बस इतना बोले ‘‘पता नहीं नेता देश को कहां ले जायेंगे, रोटी की जगह गरीब अब मोबाइल चबायेंगे. नौ महीने में न तो विकास हुआ, न प्रगति. मोदी गवर्नमेंट कुछ नहीं कर पा रही अब मोबाइल गवर्नेस की बाट देखिये!’’

अखिलेश्वर पांडेय

प्रभात खबर, जमशेदपुर

apandey833@gmail.com

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