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आम अब अल्फांसो हो गया है चचा!

कुणाल देव प्रभात खबर, जमशेदपुर अपने परम मित्र ‘बेबाक सिंह’ के साथ काफी दिनों बाद शहर के उस इलाके में जाना हुआ, जिसे लोग अपनी सुविधा के अनुसार गाहे-ब-गाहे किसिम-किसिम के नाम देते रहते हैं. बस्ती के चौराहे पर लोग टायर जलाते हुए ठंड से लोहा लेने की कोशिश कर रहे थे. इससे उनकी ठंड […]

कुणाल देव

प्रभात खबर, जमशेदपुर

अपने परम मित्र ‘बेबाक सिंह’ के साथ काफी दिनों बाद शहर के उस इलाके में जाना हुआ, जिसे लोग अपनी सुविधा के अनुसार गाहे-ब-गाहे किसिम-किसिम के नाम देते रहते हैं. बस्ती के चौराहे पर लोग टायर जलाते हुए ठंड से लोहा लेने की कोशिश कर रहे थे.

इससे उनकी ठंड जाती रही हो, मुङो यकीन नहीं पर टायर और बीड़ी के मिश्रित धुएं के बीच चुनावी चर्चा ने माहौल जरूर गर्मा रखा था. परंपरा के अनुरूप बच्च से लेकर बुजुर्ग तक विषय के ज्ञाता और व्याख्याता, दोनों थे. थोड़ा अचंभा हो रहा था कि दिल्ली चुनाव का असर वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर इस बस्ती पर कैसे है?

चौराहे पर ही वह सज्जन भी मिल गये, जिनसे मुलाकात की ख्वाहिश थी. कुर्सी मंगवायी गयी और हम अलाव से थोड़ा हट कर वहीं बैठ गये. ‘बेबाक सिंह’ हाथ सेंकने के बहाने वहीं रुक गये. एक युवक कह रह था-‘अबकी दिल्ली में चुनउआ मजेदार है. सारे रिरिया रहे हैं.

बस्ती को वैध करेंगे, पानी मुफ्त देंगे, बिजली बिल कम करेंगे..नौटंकीबाज..इ कउनो नया वादा है? 40 साल से यही बात सुनते-सुनते तो दिल्ली और इहां दोनों जगह के लोगों के कान पक गये. अबले हुआ तो बस वही है, जो कॉमेडी नाइट में कपिल शर्मा बार-बार कहता है (बाबाजी का ठुल्लु).’ ‘अरे ना बाबू, जब ले सरकार बदलल है, तब ले बहुत काम हो रहा है. सुना है तेल-डीजल का दाम कम हुआ है. सरकार गरीबन के बैंक में खाता खुलवा रही है और दुर्घटना में मरे पर बीमा के पैसा भी दिलावे के व्यवस्था है.

बेटवा बता रहा कि उ मफलरवा वाला जब दिल्ली का सरकार रहा, तब सच्चो में बिजली बिल कम आया रहा’, एक बुजुर्ग ने युवक को समझाते हुए कहा. इससे पहले कि बुजुर्ग को वह युवक जवाब देता ‘बेबाक सिंह’ ने चुप्पी तोड़ दी-‘अरे चाचा, आप जितना सुनते रहे हैं, वही सच नहीं है. जिनकी वजह से आप पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी आने की बात कर रहे हैं न, वे अब खुद ही 10 लाख का सूट पहनने लगे हैं.

गरीब लोगों के जिंदा रहते कुछ सुविधा मिले, ऐसी कोई योजना उनके पास है या नहीं ; इसकी जानकारी मुङो नहीं. हां, अगर आपका बैंक अकाउंट खुल गया हो और सौभाग्यवश दुर्घटना में मौत भी हो जाये, तब आपके बच्चों को कुछ न कुछ फायदा जरूर हो जाएगा. और आप जिस ‘मफलर वाले सरकार’ की बात कर रहे हैं न, उनका आम अब दशहरी, चौसा या लंगड़ा नहीं रहा, अल्फांसो हो गया है. उन्होंने भी कुबेरों पर दावं लगा दिया है. उनके दर्जनों प्रत्याशी करोड़पति हैं.

आपका तो मुङो पता नहीं, लेकिन उनके विधायकों ने आर्थिक मोर्चे पर जबरदस्त विकास किया है.’ हालांकि, ‘बेबाक सिंह’ की बातों से बुजुर्ग मुतमइन नहीं हुए. कहा-‘बेटा, ज्यादा तो हम कुछ जानत ना हैं. हां, इतना जरूर कह सकत हैं कि साहेब लोगन बुरे नहीं हैं, बस थोड़ा बहक गये हैं.’

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