आरक्षण नीति में समयानुसार सुधार हो

देश में जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आरक्षण की नीति बनायी गयी थी, आज हमारे देश के नेता और शासक उससे भटक गये हैं. आरंभ में इसे देश से गरीबी दूर करने का हथियार बनाया गया था. समाज के वैसे दबे-कुचले लोगों को आरक्षण देने की बात कही गयी थी, जो निर्धन थे. समय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2015 5:17 AM
देश में जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आरक्षण की नीति बनायी गयी थी, आज हमारे देश के नेता और शासक उससे भटक गये हैं. आरंभ में इसे देश से गरीबी दूर करने का हथियार बनाया गया था. समाज के वैसे दबे-कुचले लोगों को आरक्षण देने की बात कही गयी थी, जो निर्धन थे.
समय बदलने के साथ देश के नेताओं ने इसे वोट बैंक बटोरने और चुनाव जीतने का हथियार बना लिया और समय के साथ इसके स्वरूप में बदलाव होने के बजाय इसका संशोधन कर इसे पिछड़ी, अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति आधारित बना दिया गया.
आज जहां कहीं भी देश में आरक्षण की बात की जाती है, वहां आर्थिक विपन्नता का नामोनिशान नहीं होता, बल्कि यह जातिवादी हवा को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आज जरूरत इसमें आर्थिक आधार पर बदलाव करने की है.
अर्जुन महतो, बुंडू

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