राजनीति करने का ढंग बदलें राजनेता

राजनीति में अहंकार का टूटना जरूरी होता है. देश के प्रधानमंत्री ने इतनी ओछी बयानबाजी शायद कभी नहीं की होगी. ये वही प्रधानमंत्री हैं, जो संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. दिल्ली के चुनाव प्रचार में दिया गया उनका भाषण लोगों की तालियां तो बटोर सकता है, लेकिन वोट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 5:39 AM
राजनीति में अहंकार का टूटना जरूरी होता है. देश के प्रधानमंत्री ने इतनी ओछी बयानबाजी शायद कभी नहीं की होगी. ये वही प्रधानमंत्री हैं, जो संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नक्शेकदम पर चल रहे हैं.
दिल्ली के चुनाव प्रचार में दिया गया उनका भाषण लोगों की तालियां तो बटोर सकता है, लेकिन वोट नहीं बटोर पाया. दिल्ली के लोगों ने उनके बयानों के बदले में जो जवाब दिया है, वह सिर्फ पीएम साहब के दल के लिए ही नहीं, बल्कि देश के तमाम राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है.
इस चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद कोई सबक नहीं लेता है, तो यह उसकी राजनीति की सबसे बड़ी भूल होगी. देश के राजनीतिक दलों के पास अब भी वक्त बचा है. वे या तो राजनीति करने का तरीका बदल लें या फिर बहुमत पाने का लालच छोड़ दें, वरना देश की जनता उन्हें भी नहीं बख्शेगी.
आलोक रंजन, हजारीबाग

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