अब तो फॉर्म में लौटिए!

अनुज कुमार सिन्हा वरिष्ठ संपादक प्रभात खबर इस बार कप्तानी धौनी के हाथ में है. हो सकता है कि धौनी का यह अंतिम वर्ल्ड कप हो, इसलिए धौनी को कप जीतने में बड़ी भूमिका अदा करनी होगी. धौनी के पास योग्यता है. अनुभव है. इसे जमीन पर उतारना होगा. क्रिकेट वर्ल्ड कप की उलटी गिनती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2015 5:45 AM
अनुज कुमार सिन्हा
वरिष्ठ संपादक
प्रभात खबर
इस बार कप्तानी धौनी के हाथ में है. हो सकता है कि धौनी का यह अंतिम वर्ल्ड कप हो, इसलिए धौनी को कप जीतने में बड़ी भूमिका अदा करनी होगी. धौनी के पास योग्यता है. अनुभव है. इसे जमीन पर उतारना होगा.
क्रिकेट वर्ल्ड कप की उलटी गिनती आरंभ हो गयी है. अभ्यास मैच चल रहे हैं. पूरी दुनिया की टीमें इस वर्ल्ड कप पर कब्जा करने के लिए पसीना बहा रही हैं. लेकिन, भारत है कि चेतता ही नहीं. हम (टीम इंडिया) वर्ल्ड चैंपियन हैं. इसलिए इस खिताब को बचाने की जिम्मेवारी हमारे ऊपर बाकी टीमों से ज्यादा है.
क्रिकेट की दुनिया में अफगानिस्‍तानी क्रिकेट टीम की कोई पहचान अब तक नहीं है. इसलिए जब अफगानिस्तान के खिलाफ भारत अभ्यास मैच खेल रहा था, तो एक ही सवाल उठ रहा था कि क्या टीम इंडिया खोया हुआ फॉर्म वापस पायेगी? भारत ने बड़े स्कोर भले ही बना लिये, रोहित शर्मा ने 150 रन बना कर यह जरूर बता दिया कि वे पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार हैं, लेकिन कोहली-धवन और धौनी का अफगानिस्‍तान के खिलाफ भी रन नहीं बनाना चिंता की बात है.
ठीक है कि कोहली महान बल्लेबाज हैं और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था. वह दुनिया के किसी भी मैदान में, किसी के खिलाफ रन बना सकते हैं. लेकिन, धवन के साथ यह बात नहीं है. अभ्यास मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धवन की अच्छी पारी से कुछ उम्मीद बनी थी, लेकिन अगले ही मैच में वे फ्लॉप हो गये.
लगातार हार के बाद अफगानिस्तान के खिलाफ एक जीत मिली. इस जीत पर बहुत इतराने की जरूरत नहीं है.भारतीय गेंदबाज अफगानिस्तान की पूरी टीम को आउट नहीं कर सके. इससे हमारी गेंदबाजी में कमी का परदाफाश हो जाता है. तीन दिनों बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत को पहला मैच खेलना है, लेकिन भारतीय टीम में कोई ऐसे लक्षण नहीं दिख रहे हैं, जिसके बल पर वह चैंपियन बनने की हकदार दिखती हो. भारतीय गेंदबाजी की हालत तो बहुत ही पतली है.
अगर देखा जाये, तो अब तक क्रिकेट के जितने भी वर्ल्ड कप खेले गये हैं, उन सबके मुकाबले इस बार सबसे कमजोर गेंदबाजों के साथ भारत उतरने जा रहा है. टीम में कोई भी ऐसा मारक गेंदबाज नहीं है, जो अपने बल पर मैच का रुख पलटने की क्षमता रखता हो. इशांत शर्मा बाहर हो चुके हैं.
मोहित शर्मा कोई चमत्कारिक गेंदबाज नहीं हैं. दूसरी बात यह भी है कि यह प्रतियोगिता भारत में नहीं खेली जा रही है, जहां स्पिनर्स का जलवा चलेगा. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में तेज गेंदबाजों की चलती है. टीम इंडिया इसमें बहुत ही पीछे है.
बल्लेबाजी में भारतीय टीम जरूर मजबूत है, लेकिन सिर्फ कागज पर ही मजबूत है. टीम में जो बल्लेबाज हैं, अगर वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने लगते हैं, तो हर मैच में भारत एक बड़ा स्कोर खड़ा कर सकता है. ऐसा कर वह विपक्षी टीम पर दबाव बना सकता है. लेकिन, इसके लिए हर मैच में बड़ा स्कोर करना होगा, जो टीम इंडिया के लिए आसान नहीं है.
गेंदबाजी की कमजोरी को ढंकने के लिए क्षेत्ररक्षण बेहतर करना होगा. ठीक है कि धौनी वनडे के अनुभवी कप्तान हैं, लेकिन यह वर्ल्ड कप है, जिसके लिए हर टीम चार साल मेहनत करती है. फिलहाल टीम को देख कर लग रहा है कि टीम इंडिया ने लंबी तैयारी नहीं की है. पिछले वर्ल्ड कप की तुलना में इस वर्ल्ड कप में कई सीनियर खिलाड़ी नहीं खेल रहे हैं. टीम युवा है, लेकिन युवा टीम को भी अपनी क्षमता तो दिखानी ही होगी. भारत को पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेलना है.
भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे में हर मैच हारी थी. इससे टीम का मनोबल गिरा हुआ है. इसलिए वर्ल्ड कप के पहले मैच में अगर भारत पाकिस्तान को हरा देता है, तो टीम में नयी ऊर्जा आयेगी. टीम का खोया आत्मविश्वास लौटेगा और उसका असर आनेवाले मैचों पर पड़ेगा. पाकिस्तान के खिलाफ भारत वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं हारा है, इसलिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत का पलड़ा भारी दिखेगा. लेकिन, दबाव दोनों देशों पर होगा, और पाकिस्तान की टीम को कम आंकना भारत के लिए खतरनाक हो सकता है.
भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना होगा. 1983 में जब कपिल देव की टीम वर्ल्ड कप खेलने गयी थी, तो उस वक्त कौन कह सकता था कि यह टीम वर्ल्ड चैंपियन हो सकती है. लेकिन, उस टीम ने चमत्कार दिखाया. तब कपिल ऐसे कप्तान थे, जो अपने बल पर मैच का रुख बदल सकते थे. इस बार कप्तानी धौनी के हाथ में है.
हो सकता है कि धौनी का यह अंतिम वर्ल्ड कप हो, इसलिए धौनी को कप जीतने में बड़ी भूमिका अदा करनी होगी. धौनी के पास योग्यता है. अनुभव है. इसे जमीन पर उतारना होगा. जो पक्ष कमजोर है, वह रातोंरात ठीक नहीं हो सकता. नये गेंदबाज रातोंरात पैदा नहीं किये जा सकते. इसलिए जो भी गेंदबाज हैं, उनका बेहतर उपयोग करना होगा. धौनी भारतीय खिलाड़ियों की क्षमता को पहचानते हैं, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि यही टीम अपने खिताब को बरकरार रखने के लिए जी-जान लगा देगी.
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