खतरनाक ढंग से हो रहा एकता खंडन

इतिहास गवाह है, जब समग्र भारतवर्ष में अनेक राज्य थे और वे ही उस राज्य की जनता के लिए एक देश के समान थे. उनकी दुनिया वहीं तक सीमित थी. आज हमारे लोकतांत्रिक देश में भी कई राज्य हैं, लेकिन उन राज्यों की जनता की दुनिया उससे बाहर भी है. इसका एकमात्र कारण अनेकता में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2015 5:43 AM
इतिहास गवाह है, जब समग्र भारतवर्ष में अनेक राज्य थे और वे ही उस राज्य की जनता के लिए एक देश के समान थे. उनकी दुनिया वहीं तक सीमित थी. आज हमारे लोकतांत्रिक देश में भी कई राज्य हैं, लेकिन उन राज्यों की जनता की दुनिया उससे बाहर भी है. इसका एकमात्र कारण अनेकता में एकता और सत्ता का विकेंद्रीकरण है.
आज जिस उन्मुक्त दुनिया में हम निवास कर रहे हैं, उसके पीछे अंगरेजों का अत्याचार अहम है. इसने हम सभी भारतवासियों को एकजुट होने के लिए विवश कर दिया. इस विवशता का लाभ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बखूबी उठाया और भारत की अनेकता को एकता में बदल दिया. आज आजादी के 67 साल बाद उसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो खतरनाक है. कुछ लोग धर्म के नाम पर देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. यह सरासर गलत है.
ऋतु कुमारी, ई-मेल से

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