सरकारी स्कूलों को बनाएं बेहतर
भारत की आबादी हर साल तेज रफ्तार से बढ़ रही है. जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उस अनुपात में बच्चों को शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में बेरोजगारी बढ़ रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम सरकारी खर्च के बावजूद हमारे देश के […]
भारत की आबादी हर साल तेज रफ्तार से बढ़ रही है. जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उस अनुपात में बच्चों को शिक्षा की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में बेरोजगारी बढ़ रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम सरकारी खर्च के बावजूद हमारे देश के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है.
यह हजारों-लाखों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से दूर कर रही है. दूसरी बात यह भी है कि हमारे देश में पहले की तरह समर्पित शिक्षकों का भी घोर अभाव है. जितने शिक्षक स्कूलों में अध्यापन कार्य कर रहे हैं, वे सिर्फ खानापूरी कर रहे हैं. आज भी सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के नाम कुछ हासिल नहीं होता. यही वजह है कि आज के जागरूक अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के बजाय निजी स्कूलों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.
इसके साथ ही जिन अभिभावकों के पास निजी स्कूलों की महंगी फीस भरने की गुंजाइश नहीं है, वे सरकारी स्कूलों के भरोसे अपने बच्चों के भविष्य को चौपट कर रहे हैं. यही वजह है कि आज देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक है. ऐसा भी नहीं है कि देश में अच्छे शिक्षकों और व्यवस्था की कमी है. कमी है, तो सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की, जिसे देश के राजनेता उपयोग नहीं कर रहे हैं. या फिर हम यह भी कह सकते हैं कि निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए राजनेता जानबूझ कर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दे रहे हैं.
यही वजह है कि आज सरकारी शिक्षा भगवान भरोसे है और निजी शिक्षा फल-फूल रही है. आज यदि सही मायने में देश से बेरोजगारी और बेकारी दूर करनी है, तो हमारे देश और सूबे के शासकों को पूरी व्यवस्था में ही सुधार करना होगा और सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाना होगा.
अमर कुमार, रांची