केजरीवाल जी, अब नहीं चलेगा कोई भी बहाना
रूपम प्रभात खबर, रांची तमाम झंझावातों को ङोलते हुए आखिरकार देश का एक लाल दूसरी बार विरोधियों को धराशायी करके दिल्ली का सीएम बन ही गया. अजीब बात तो यह है कि देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा-कांग्रेस) के सामने जनता ने केजरीवाल में अभूतपूर्व भरोसा कैसे जताया. विरोधियों की नजर में एक […]
रूपम
प्रभात खबर, रांची
तमाम झंझावातों को ङोलते हुए आखिरकार देश का एक लाल दूसरी बार विरोधियों को धराशायी करके दिल्ली का सीएम बन ही गया. अजीब बात तो यह है कि देश की दो सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा-कांग्रेस) के सामने जनता ने केजरीवाल में अभूतपूर्व भरोसा कैसे जताया. विरोधियों की नजर में एक भगोड़ा शनिवार को धूमधाम से रामलीला मैदान में दिल्ली के सीएम पद की शपथ लेने जा रहा है.
ये वही केजरीवाल हैं, जिन्होंने कांग्रेस की बैशाखी पर खड़ी अपनी सरकार से पिछली बार 49 दिन में ही त्यागपत्र दे दिया था और कहा था कि बिना बहुमत के सरकार चला पाना संभव नहीं है. इस बार जनता ने केजरीवाल की उम्मीद से भी ज्यादा समर्थन देकर उन्हें 70 में से 67 सीटें दे दी हैं. कहने का तात्पर्य यह कि अब केजरीवाल को अपने वादे पूरे करने के लिए किसी के समर्थन की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब उनकी कोई बहानेबाजी काम नहीं करेगी. तभी तो केजरीवाल ने चुनाव नतीजे आने के बाद ही अपने पहले भाषण में कहा, जनता ने इतना ज्यादा समर्थन दे दिया है कि अब डर लग रहा है.
जिम्मेदारी बढ़ गयी है. उन्होंने अपने साथियों को भी सीख दी कि किसी तरह का अहंकार मत पालना, वरना वही हश्र होगा, जो दिल्ली में जनता ने भाजपा और कांग्रेस का किया. केजरीवाल वो शख्स हैं, जो कारण-अकारण हमेशा सोशल मीडिया में छाये रहते हैं. कभी अपनी भाषणबाजी को लेकर तो कभी अपने मफलर स्टाइल को लेकर. उनके इस मफलर टशन पर ना जाने कितने जोक्स और कार्टून मीडिया में छाये रहे.
अगर कोई शख्स अपने फेसबुक अकाउंट पर मफलर ओढ़े फोटो पोस्ट कर देता तो तपाक से उसके पास कमेंटों की बौछारें आ जातीं. वैसे देखा जाये तो केजरी ने अपना चुनाव चिह्न् भी बहुत ही सोच-समझ कर रखा है, झाड़ू. जो बेशक हर घर से जुड़ा हुआ है. एक जमाना था जब लोग झाड़ू को ऐसी जगह रखते थे, जहां किसी की नजर भूले से भी उस पर न पड़े. दरवाजे के पीछे, पलंग के नीचे या स्टोर में. लेकिन अब केजरी ने अपने साथ-साथ उस झाड़ू के भी दिन फेर दिये हैं.
अब लोग उसे छिपा कर नहीं, सजा कर रखते हैं जैसे वह कोई ट्रॉफी या मेडल हो. अब देखना यह है कि केजरी के इस झाड़ू से जगह-जगह फैला कचरा, भ्रष्टाचार या मन की मैल खत्म होती है या नहीं. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो जिस गर्मजोशी से दिल्ली की जनता ने आप का स्वागत किया है, उसी बेरुखी से वे उसे उठा बाहर भी फेंक सकती है. इसका उदाहरण तो केजरी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. एक ही झटके में हीरो बने केजरीवाल से लोगों को काफी उम्मीदें हैं.
आखिर आम आदमी ही आम को समझ सकता है. केजरीवाल से दिल्ली ही नहीं पूरे देश को बड़ी उम्मीद है. उन्होंने दो राष्ट्रीय दलों का अहंकार जो चूर किया है. केजरीवाल जब तक आम आदमी बने रहेंगे, जनता उनका साथ देगी, वरना उनकी भी जय कर देगा आम आदमी.