सस्ते तेल का फायदा आम लोगों को मिले

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल दोनों के भाव लगातार गिरे हैं. इसका असर यह है कि भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम घटे हैं. इसका लाभ सिर्फ उन्हें मिल रहा हैं जो गाड़ी चलाते हैं यानी निजी वाहन मालिकों को. न तो ऑटो भाड़ा घटाया जा रहा है और न ही बस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2015 5:45 AM
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल दोनों के भाव लगातार गिरे हैं. इसका असर यह है कि भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम घटे हैं. इसका लाभ सिर्फ उन्हें मिल रहा हैं जो गाड़ी चलाते हैं यानी निजी वाहन मालिकों को. न तो ऑटो भाड़ा घटाया जा रहा है और न ही बस या माल भाड़ा.
जो लोग रोज ऑटो से आना-जाना करते हैं, उन्हें पेट्रोल और डीजल का दाम घटने का लाभ नहीं मिल रहा. यह सिस्टम में गड़बड़ी का नतीजा है. जब पेट्रोल-डीजल का दाम बढ़ता है, ऑटो-बस मालिक भाड़ा तुरंत बढ़ा देते हैं लेकिन जब दाम घटता है तो नये-नये तर्क गढ़ने लगते हैं. झारखंड में भी यही हो रहा है. ऑटो चालकों ने घोषणा कर दी कि वे भाड़ा कम करेंगे लेकिन यात्रियों से पुराना भाड़ा ही वसूला जा रहा है.
आये दिन चालकों और यात्रियों में झगड़ा हो रहा है लेकिन निदान नहीं निकल पा रहा. और तो और, बस मालिकों ने तो कह दिया कि किराया कम नहीं करेंगे. हड़ताल कर देंगे. तर्क है कि तीन साल जिस दर पर डीजल बिकता था, आज उसी दर पर भले ही बिक रहा है लेकिन अन्य खर्च बढ़ गये हैं. इसलिए किराया कम नहीं करेंगे. यह प्रशासन-सरकार का दायित्व है कि वह बस मालिकों की मनमानी को रोके.
सरकार ने दाम कम किया है ताकि उसका लाभ आम जनता को मिले. सिर्फ ऑटो और बस मालिकों को नहीं. अगर ट्रकवाले भाड़ा कम करते हैं तो इससे ट्रक से आनेवाले सामानों की कीमत घटेगी. महंगाई घटेगी. लेकिन ट्रांसपोर्टर्स, बस मालिक और ऑटो चालक सारा फायदा अपनी जेब में रख रहे हैं. यही वह वक्त है जब सरकार कार्रवाई करे. सरकार-प्रशासन आगे आये और आदेश जारी करे. भाड़ा निर्धारित करे और इसे लागू कराये.
जो भी आदेश को नहीं मानता, कानून का उल्लंघन करता है उसका परमिट रद्द करे. बस मालिकों की हड़ताल की धमकी से अगर सरकार झुक गयी तो आम यात्री का हक मारा जायेगा. आम यात्री बस मालिकों-कर्मचारियों से लड़ाई-झगड़ा करने से बचते हैं. ऐसे में जो भी किराया वे मांगते हैं, दे देते हैं.
बेहतर होगा कि सरकार अपने अधिकार का प्रयोग करे और इससे जुड़े संगठऩों को बुला कर आदेश जारी कर दे. राज्य में अगर बस चलाना है, ट्रक चलाना है तो नियम को मानना ही पड़ेगा. जनता को अब सरकार से उम्मीद है जिससे उसे कुछ राहत मिले.

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