अपराधीकरण के विरुद्ध जनादेश
आम आदमी पार्टी की अभूतपूर्व जीत के साथ-साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम कई और अर्थो में भी देश के राजनीतिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण परिघटना है. विधायकों पर चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों की दृष्टि से दिल्ली की नवनिर्वाचित विधानसभा देश की सबसे साफ-सुथरी विधानसभा है. यहां ऐसा एक भी विधायक नहीं है, जिसके […]
आम आदमी पार्टी की अभूतपूर्व जीत के साथ-साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम कई और अर्थो में भी देश के राजनीतिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण परिघटना है. विधायकों पर चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों की दृष्टि से दिल्ली की नवनिर्वाचित विधानसभा देश की सबसे साफ-सुथरी विधानसभा है.
यहां ऐसा एक भी विधायक नहीं है, जिसके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के विरुद्ध अपराध जैसा गंभीर केस चल रहा हो. हाल के दशकों में राजनीति के अपराधीकरण से त्रस्त देश के लिए यह निश्चित रूप से एक शुभ सूचना है.
हालांकि विजयी प्रत्याशियों में से 24 के खिलाफ चोट पहुंचाने, अवमानना करने या अवैध रूप से एकत्र होने जैसे मामले दर्ज हैं, पर विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं और गत वर्ष चुनी गयी लोकसभा की तुलना में दिल्ली के जनादेश का विवेक न केवल स्वागतयोग्य, बल्कि अनुकरणीय भी है.
इस चुनाव में खड़े 673 प्रत्याशियों में से 91 ऐसे थे, जिनके विरुद्ध हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के विरुद्ध अपराध आदि जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं. इनमें 26 भाजपा, 21 कांग्रेस, 12 बसपा और एक आप से संबद्ध थे. ऐसे प्रत्याशियों को जनता से नकार दिया है. दिल्ली में 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों द्वारा अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य किया गया था. उस वर्ष 43 फीसदी और 2013 में 36 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. इस साल यह आंकड़ा 34 फीसदी है, और उनके खिलाफ चल रहे मामले गंभीर अपराध के नहीं हैं.
ऐसे में इसे राजनीति के अपराधीकरण के विरुद्ध जनादेश भी कहा जा सकता है. राज्य की पिछली विधानसभाओं की तुलना में 2015 की विधानसभा में अधिक संख्या में शिक्षित और युवा विधायक हैं. आप का वादा और दावा भ्रष्टाचार और अपराध पर नियंत्रण करने का है.
दिल्ली की जनता ने इस पर भरोसा करते हुए 70 में से 67 सीटें आप की झोली में डाल दी है. इतना ही नहीं, 55 नवनिर्वाचित विधायकों को कुल मतदान के 50 फीसदी से अधिक मत मिले हैं. उम्मीद करनी चाहिए कि ‘आप’ जनता के इस भरोसे को मजबूत करेगी. साथ ही दूसरी पार्टियां दिल्ली के जनादेश से सीख लेकर अपराधियों से परहेज करना शुरू करेगी.