कवनो फिरकी ले रहा हम लोगन का
अखिलेश्वर पांडेय प्रभात खबर, जमशेदपुर इ गोला पर मौसम का कवनो भरोसा नहीं, कभी ठंडी, कभी बारिश, कभी ठंडी में बारिश तो कभी बारिश में ठंडी.. हम तो कन्फुजिया गये हैं कि स्वेटर पहिनें कि रेनकोट. खाली मौसम ही नाहीं आउर भी बहुते अइसन बात है इ गोला पर जवन हमका परेशान किये रहता है. […]
अखिलेश्वर पांडेय
प्रभात खबर, जमशेदपुर
इ गोला पर मौसम का कवनो भरोसा नहीं, कभी ठंडी, कभी बारिश, कभी ठंडी में बारिश तो कभी बारिश में ठंडी.. हम तो कन्फुजिया गये हैं कि स्वेटर पहिनें कि रेनकोट. खाली मौसम ही नाहीं आउर भी बहुते अइसन बात है इ गोला पर जवन हमका परेशान किये रहता है.
जब से हम टीवी पर इश्तेहार देखें हैं तब से सुबह-सुबह टूथब्रश करते समय भी आपन दरवाजे का कुंडी ठीक से बंद कर लेत हैं. का पता कब कवन टीवी पत्रकार कैमरा लेके घर में घुस आये और पूछन लगे कि ‘आप कवन सा टूथपेस्ट इस्तेमाल करते हैं? आपके टूथपेस्ट में नमक है कि नहीं?’ अरे! इ टूथपेस्ट है या चटनी. एक बात हमरी समझ में नाहीं आवत है कि इ गोला के लोग गोरी चमड़ी के पीछे पागल काहें हुए जात हैं.
चाहे कवनो टेलीविजन चैनल देखो सबही पर चेहरे की चमक बढ़ाने की बात कहकर क्रीम का प्रचार अइसे करत हैं जैसे केवल चेहरा चमकने से या चमड़ी गोरी होने से ही उम्मीदवारों की नौकरी पक्की! अगर अइसा ही है तो पढ़ने-लिखने की जरूरत क्या है भला?
सबही लोग आपन-आपन चेहरा चमकाओ और ‘ब्रिलिएंट’ बन जाओ. स्कूल-कॉलेज की जरू रत ही क्या है? उसके बदले मसाज पार्लर, ब्यूटी पार्लर, स्किन ट्रीटमेंट, साबुन-क्रीम की सरकारी दुकानें खुलवाओ. सच में हम तो कन्फुजिया गये हैं. हमका तो लागत है कवनो फिरकी ले रहा है हम लोगन का.
आपको नाही लागत कि इ रांग नंबर है..? हम कन्फुजिआएं नहीं तो का करें. आप ही बताइये, टीवी वाले परफ्यूम और डियो का जो ऐडवा दिखावत हैं ओके देखके जर-जवान लक्ष्कन के करेजवा बुकनी-बुकनी हो जात है. ऐडवा में दिखावत हैं कि छोरियन के पटावे खातिर समझदारी, बुद्धिमानी का नाहीं केवल डियो और परफ्यूम का जरूरत होत है. का आपको अबही भी नाहीं लागत है कि कवनो फिरकी ले रहा हम लोगन का. इ रांग नंबर नाहीं तो क्या है?
सबसे हंसी का बात तो इ है कि जब साल में 365 दिन होत है तो ‘आइ लव यू’ कहे खातिर वैलेंटाइन डे का इंतजार काहें! अरे कोई तो समझाओ इनका. समझदारी पर लटका काला परदा हटाओ. सुते समय गोगल्स पहनने से का फायदा? इस सब मल्टीनेशनल कंपनियन का खेल है.
आपन प्रोडक्ट बेचे खातिर. रोज डे, प्रपोज डे, हग डे, किस डे..ग्रीटिंग्स कार्ड, फजूल का गिफ्ट, परफ्यूम, डियो आउर ना जाने का-का. रांग नंबर को पहचानिये. दही-छाछ खाइये..कोल्डड्रिंक-पिज्ज के पीछे काहे पागल हुए पड़े हैं. डामर वाली काली सड़कन से लेके, जंगल-झाड़, पहाड़, नदी-नाला सब जगह कूदत-फांदत कार-बाइक को सबही कंपनियां नंबर -1 बतावत हैं.
कहत हैं कि माइलेज में सबका बाप है. नंबर-1 और बाप तो एक ही हो सकत है तो फिर दूगो कइसे? समय आपका, पइसा-रुपिया आपका तो समझदारी भी आपका काहे नाहीं? समझिये, कवनो फिरकी ले रहा है हम लोगन का!