13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आर्थिक मजबूती बगैर कैसे पूरी हों घोषणाएं

राज्य सरकार ने हाल में कई लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं. आमतौर पर किसी भी सरकार की ओर से ये घोषणाएं आम लोग सकारात्मक तौर पर स्वीकारते हैं. अलग-अलग समूहों के लिए राहत संबंधी इन घोषणाओं की व्याख्या के बदले इसे पूरा करने के लिए आर्थिक प्रबंधन पर कहीं ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत होगी. जानकारों […]

राज्य सरकार ने हाल में कई लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं. आमतौर पर किसी भी सरकार की ओर से ये घोषणाएं आम लोग सकारात्मक तौर पर स्वीकारते हैं. अलग-अलग समूहों के लिए राहत संबंधी इन घोषणाओं की व्याख्या के बदले इसे पूरा करने के लिए आर्थिक प्रबंधन पर कहीं ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत होगी.
जानकारों का यहां तक कहना है कि वित्तीय प्रबंधन को मजबूत किये बगैर अगर राहत संबंधी कार्यक्रमों-योजनाओं को लागू किया जाये तो उसके बेहतर नतीजे नहीं निकलेंगे. इसमें दो राय नहीं कि बीते एक दशक में राज्य का आंतरिक संसाधन बढ़ा है और योजना आकार में दस फीसदी का इजाफा हुआ है. 2005 में योजना आकार जहां 4000 करोड़ का था वह 2014-15 में बढ़ कर 40000 करोड़ हो गया. योजना आकार बढ़ने का मतलब योजनाओं पर खर्च बढ़ना और परिसपंत्तियों का निर्माण होने से है.
राज्य सरकार को इस बात पर गौर करने की जरूरत होगी कि योजना आकार में पिछले दशक भर से जो वृद्धि हुई है, उसे भविष्य में कैसे बनाये रखा जाये. अर्थशास्त्र का यह नियम सभी जानते हैं कि अगर गैर योजना मद में खर्च बढ़ जाये तो उसका असर योजनाओं पर पड़ता है. राज्य में कुल राजस्व (कर राजस्व व गैर कर राजस्व) की वसूली केवल 25 फीसदी ही है. आदर्श स्थिति इन दोनों प्रकार के राजस्व में प्राप्ति 30 फीसदी या उससे अधिक को मानी जाती है. दूसरी ओर, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कुल खर्च के विरुद्ध आंतरिक संसाधनों का अनुपात 70 फीसदी है. तय है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इन संसाधनों के नये रास्तों की तलाश जरूरी है.
यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि राज्य को राजकोषीय घाटे की हालत से उबारना चुनौती है. वर्ष 2013-14 के आर्थिक सव्रेक्षण में कहा गया कि 2012-13 में सकल राजकोषीय घाटा 6545 करोड़ हो गया. उसी वर्ष बजट घाटा बढ़ कर 2116 करोड़ पर पहुंच गया. सव्रेक्षण में कहा गया है कि इस घाटा के और बढ़ने का अंदेशा है.
एक और चिंता की बात है कि 2010-11 में राजस्व वसूली में वृद्धि जहां 25 फीसदी थी वह वर्ष 12-13 में घटकर 16 फीसदी पर पहुंच गयी. जाहिर सी बात है कि सामाजिक व सेवा क्षेत्र में सुधार लाना किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होती है. साथ में यह देखा जाना भी जरूरी है कि उन प्राथमिकताओं तथा लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाये?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें