पड़ोसी देशों से बेहतर होते संबंध

चीन द्वारा सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का पहली बार समर्थन और जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार की बहाली भारतीय विदेश नीति और राजनय की स्वाग्तयोग्य उपलब्धियां हैं. पिछले वर्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे और भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2015 5:48 AM
चीन द्वारा सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का पहली बार समर्थन और जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार की बहाली भारतीय विदेश नीति और राजनय की स्वाग्तयोग्य उपलब्धियां हैं.
पिछले वर्ष चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे और भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इस महीने हुई चीन यात्र के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित यात्र के मद्देनजर चीन का यह समर्थन द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत के बढ़ते महत्व का सूचक है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी हाल के दौरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनने के भारत के दावे का समर्थन किया था. इस विश्व संगठन की स्थापना के समय से ही चीन सुरक्षा परिषद् में भारतीय दावेदारी का विरोध करता आ रहा है. हालांकि, सीमा-संबंधी विवादों और क्षेत्रीय मसलों पर भारत और चीन में तनातनी बनी रहती है, लेकिन वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के त्वरित परिवर्तन की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के बीच सहयोग और सहभागिता का विस्तार भी हुआ है.
निश्चित रूप से चीन का समर्थन भारतीय दावेदारी को मजबूत करेगा, पर यह भी उल्लेखनीय है कि चीन ने जापान का विरोध किया है, जो भारत, जर्मनी और ब्राजील के साथ स्थायी सदस्यता का प्रमुख दावेदार है. कई विशेषज्ञों की राय है कि संयुक्त राष्ट्र के सुधार की आड़ में शक्तिशाली देश सुरक्षा परिषद् के विस्तार को लंबे समय तक लटकाने की भी जुगत करते रहते हैं. इस दिशा में भारत को निरंतर ठोस राजनयिक और राजनीतिक प्रयास करते रहने होंगे.
नियंत्रण रेखा पर भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार की बहाली पिछले कई महीनों की तल्खी और हिंसक झड़पों के बाद संबंधों के सामान्य होने का संकेत है. गुरुवार को हुई पाकिस्तानी उच्चायुक्त और भारतीय विदेश सचिव की मुलाकात दोनों देशों के बीच लंबे समय के बाद पहली बड़ी उच्चस्तरीय बैठक है.
विदेश सचिव की प्रस्तावित पाकिस्तान यात्र भी उल्लेखनीय पहल है. इन पड़ोसी देशों के बीच अच्छे संबंध दक्षिण एशिया में शांति एवं विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. उम्मीद है कि भारत, चीन और पाकिस्तान इस दिशा में सकारात्मक रवैये के साथ आगे बढेंगे.

Next Article

Exit mobile version