फिर चढ़ायी जा रही काठ की हांडी
पिछले छह-सात महीने में देश की राजनीति सबसे अधिक चर्चा में रही है. यह आज जिस दिशा में जा रही है, उससे नतीजे आने के पहले कयास लगा पाना मुश्किल दिखायी देने लगा है. देश की मौजूदा राजनीति ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. आये दिन किसी न किसी मसले को लेकर हंगामा […]
पिछले छह-सात महीने में देश की राजनीति सबसे अधिक चर्चा में रही है. यह आज जिस दिशा में जा रही है, उससे नतीजे आने के पहले कयास लगा पाना मुश्किल दिखायी देने लगा है. देश की मौजूदा राजनीति ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है.
आये दिन किसी न किसी मसले को लेकर हंगामा किया जा रहा है. कभी पूरा राज्य बंद करा दिया जाता है, तो राजनेता कभी अनशन पर बैठ जाते हैं. अंतत: इन सबका नुकसान आम आदमी को ही ङोलना पड़ा था. इतना सब कुछ होने के बाद आखिरकार नेता वोट के लिए आम मतदाता को अपने पक्ष में करने में सफल हो ही जाते हैं, ताकि उनका वोट बैंक सुरक्षित रहे.
बीते डेढ़ दशक से देश की कुत्सित राजनीति की वजह से देश का विकास पूरी तरह से बाधित है. फिर भी इसकी चिंता किसी को नहीं है.
शासक से लेकर राजनेता हर जगह पर अपनी खिचड़ी पकाने में सफल हो जा रहे हैं. आज मोदी सरकार जापान की तर्ज पर देश में शहरों को विकसित करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन उनके अधीन काम करनेवाले जापान से प्रेरणा नहीं ले रहे हैं. जापान और चीन अपने दम पर अमेरिका जैसे समृद्ध देश को चुनौती देने को तैयार है. आज हमारी सरकारें और देश के लोग नेता जी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, डॉ राजेंद्र प्रसाद और स्वामी विवेकानंद की बातों को पूरी तरह से भूल चुके हैं. उन्होंने भारत के लिए सुनहरे सपने संजोये थे.
पूरे जीवनकाल में एक ही बात की प्राथमिकता दी और वह भारत की तरक्की थी. आज के नेता और सरकार में शामिल लोग सिर्फ अपनी खिचड़ी पकाने में लगे हैं. वहीं, देश की जनता के लिए बारंबार बिना पानीवाली काठ की हांडी चूल्हे पर चढ़ायी जा रही है, जिससे किसी को लाभ नहीं.
किरण कुमारी, हजारीबाग