शीघ्र घोषित की जाये स्थानीयता नीति
आज की तारीख में झारखंड जैसे राज्य में स्थानीयता नीति बेहद जरूरी हो गयी है. भारत के सभी राज्यों में स्थानीयता परिभाषित की जा चुकी है, लेकिन यहां अभी तक यह नीति लागू नहीं की जा सकी है. स्थानीयता की नीति अधर में लटकी है. इसके अधर में लटकने के कई कारण हैं. एक तो […]
आज की तारीख में झारखंड जैसे राज्य में स्थानीयता नीति बेहद जरूरी हो गयी है. भारत के सभी राज्यों में स्थानीयता परिभाषित की जा चुकी है, लेकिन यहां अभी तक यह नीति लागू नहीं की जा सकी है. स्थानीयता की नीति अधर में लटकी है. इसके अधर में लटकने के कई कारण हैं.
एक तो यहां के राजनेताओं में इसे लेकर एका नहीं है. दूसरे यह कि सत्तासीन और सत्ता से बाहर राजनेताओं की इच्छाशक्ति कमजोर है. ये यहां के निवासियों के हित की बात न सोच कर निजी स्वार्थ सिद्धि में लगे हैं. स्थिति यह है कि यहां सरकारी स्तर पर जितनी भी नियुक्तियां हो रही हैं, उनमें स्थानीय लोगों की संख्या न के बराबर है. आज जरूरत इस बात की नहीं है कि सरकार यहां के निवासियों को स्थानीयता के नाम पर गैर बराबरी करे, लेकिन इसके लिए एक समयसीमा तो निर्धारित करे.
कलीमुद्दीन, रांची