एक मैं ही नहीं और भी दुखी हैं जमाने में
ये मेरी गलती नहीं, मौसम की मार है. कहते हैं ऋतुराज वसंत अच्छे-अच्छों का मन भरमा देते हैं. इस साल पतझड़ भले देर से हो रहा है, लेकिन बागों-पार्को में खिले फूल और सुंदर जोड़ों की भरमार बता दे रही है कि हो न हो फिजां में मदमस्त वसंती बयार मौजूद है. पर, अभागा मैं […]
ये मेरी गलती नहीं, मौसम की मार है. कहते हैं ऋतुराज वसंत अच्छे-अच्छों का मन भरमा देते हैं. इस साल पतझड़ भले देर से हो रहा है, लेकिन बागों-पार्को में खिले फूल और सुंदर जोड़ों की भरमार बता दे रही है कि हो न हो फिजां में मदमस्त वसंती बयार मौजूद है. पर, अभागा मैं कहां बैठ गया वसंत और वसंती बयार के फेर में.. मेरी तो किस्मत कई वसंत पहले ही दगा दे गयी थी, जब मेरी शादी एक पहलवान कन्या से हो गयी. अपना हाल बताने के लिए बस इतना कहना ही काफी है कि एक तो बीवी उस पर पहलवान.
एकदम करैला नीम चढ़ा वाला मामला हो गया. हालांकि घरवाले जब शादी कर रहे थे, तब मैं ख़ुश था कि शादी के बाद घर पर बीवी का आटोग्राफ लेनेवालों की भीड़ लगेगी. लोग मेरी किस्मत पर ईष्र्या करेंगे. पर, शादी के बाद मेरे सोच बदल गये हैं. अब अपने ही घर में सहमा-सहमा रहता हूं. हमेशा डर बना रहता है कि पता नहीं कब वह मुझ पर कुश्ती के दावं आजमा बैठे. आजकल तो यह डर इतना बढ़ गया है कि वह चाय देने को भी झुकती है, तो मेरी सांसें रुकने लगती हैं.. लगता है कुश्ती का कोई दावं न चला दे. आप सोच रहे होंगे कि मैं क्या अनाप-शनाप बके जा रहा हूं.. लेकिन मैं भी हूं शातिर. डर की असली वजह तो नहीं ही बतानी. सिर्फ इतना कहना ही काफी होगा कि पिछले कुछ दिनों से मेरी हड्डियों में दर्द रहता है.
जब कभी दोस्तों से इस दर्द का जिक्र करता हूं, वे अजब अंदाज में मुस्कुरा देते हैं. और मैं अपना-सा मुंह बना कर रह जाता हूं. फिर भी दोस्त दुखती रग छेंड़ने से बाज नहीं आते.. कहते हैं बीवी अगर रेसलर हो तो हालात ऐसे ही होंगे. कुछ तो उन दिनों की याद दिला देते हैं, जब मेरी शादी तय हो रही थी. जोर से हंसते हुए कहते क्यों यार! उस वक्त तो कहते नहीं थकते थे कि मेरी होनेवाली बीवी पहलवान है . कुश्ती में ढेर सारे मेडल जीत रखे हैं. अब! क्या? इतना सुनते ही मैं दोस्तों की महफिल से निकल कर घर की तरफ भागता हूं. मेरी तो अजब हालत है. ना घर में चैन ना बाहर. अब तो बुखार में डॉक्टर के पास भी जाता हूं तो वह भी मुस्कुरा कर पूछते हैं दर्द कैसा है? और तो और अब तो पड़ोसवाली चाची भी पूछती हैं बेटा दर्द कैसा है? दोस्तों मैं किस-किस को जवाब दूं, इस लिए सोचा कि लिख कर सबको एक साथ बता दूं. बीवी पहलवान हो या न हो, डरना तो सबको पड़ता है.
मेरे केस को अलग से न लें. सुना है कि दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान ओबामा भी अपनी पत्नी से बहुत डरते हैं. मिशेल की नजर टेढ़ी हुई नहीं कि साहब की बोलती बंद हो जाती है. ऐसे में मेरे जैसे अदना आदमी की क्या बिसात? आप सोच रहे होंगे कि मैं ये सब बता क्यों रहा हूं, तो ये भी जान लीजिए. मेरी शादी इसी फरवरी महीने में हुई थी, इस लिए इस महीने के आते ही मेरी पीड़ा दोगुनी हो जाती है. और मुझ पर इस तरह का पागलपन का दौरा पड़ता है. फिर भी यह सोच कर खुश हूं कि मैं अकेला नहीं हूं.. मेरी तरह और भी दुखी लोग हैं जमाने में..
शकील अख्तर
प्रभात खबर, रांची
shakeel.akhtar@prabhatkhabar.in