जन संवाद से अच्छे बजट की उम्मीद

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड के बजट को अंतिम रूप देने के पहले राज्य के लोगों, विशेषज्ञों और विभिन्न संस्थाओं-संगठनों की राय ली. यह एक अच्छा प्रयास है. सभी से राय-मशविरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में वे विकास और सुशासन को प्राथमिकता देंगे. जब से सरकार बनी है, सरकार इसी दिशा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2015 6:27 AM

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड के बजट को अंतिम रूप देने के पहले राज्य के लोगों, विशेषज्ञों और विभिन्न संस्थाओं-संगठनों की राय ली. यह एक अच्छा प्रयास है. सभी से राय-मशविरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में वे विकास और सुशासन को प्राथमिकता देंगे. जब से सरकार बनी है, सरकार इसी दिशा में चलने का संकेत भी दे रही है. लेकिन बजट के पहले संगठनों की भागीदारी से अच्छा संदेश जाता है.

बजट बनने की प्रक्रिया सितंबर-अक्तूबर से आरंभ हो जाती है, लेकिन इस सरकार को इतना समय नहीं मिल पाया है. इसलिए सभी सुझावों को पूरे तौर पर नये बजट में शामिल करना संभव नहीं होगा. लेकिन इसका इतना लाभ जरूर मिलेगा कि जन आकांक्षा से सरकार वाकिफ हो गयी है. हर राज्य में समस्याएं अनेक होती हैं और संसाधन सीमित. ऐसे में सरकार को तय करना होता है कि किस काम या किस विभाग पर कितना पैसा खर्च किया जाये.

बेहतर सरकार वही होती है जो ऐसे विभागों के लिए ज्यादा बजट का प्रावधान करती है जो सीधे जनता से जुड़े हों. बजट बनानेवालों को जब जमीनी हकीकत का पता होता है तो बजट बेहतर बनता है. ऐसी बैठकों से जमीनी हकीकत और राज्य की असली समस्या समझने में मदद मिलती है. जनता का फीडबैक मिलता है. जैसे कि इस सरकार को पता चला है कि टैक्स को लेकर चिंता है. राज्य के पास पैसा होगा, तभी तो विकास पर खर्च हो सकेगा. आय का बड़ा स्नेत टैक्स है, लेकिन यह भी सत्य है कि टैक्स की चोरी होती है.

या तो पूरा टैक्स लोग देते नहीं या अधिकारी-कर्मचारी बीच में खा जाते हैं. जो भी हो, सरकार को कुछ हद तक जमीनी जानकारी मिल चुकी है, एजेंडा भी तय है, प्राथमिकताएं भी तय हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त राशि रहेगी. ऐसा न हो कि बजट के अभाव में स्कूलों में बच्चों का भोजन बंद हो जाये, स्कूल भवन न बन पाये, अस्पतालों को दवा न मिले. ऐसी व्यवस्था हो कि राज्य के हर नागरिक को स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. राज्य में बड़े पैमाने पर भरतियां होने वाली हैं. उनके वेतन पर राशि खर्च होगी. इसलिए आमदनी और सही तरीके से खर्च करना बड़ी चुनौती है. उम्मीद है कि यह सरकार जनता को बेहतर बजट देगी.

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