देश की सुरक्षा में बरती जा रही है ढिलाई
भारत एक संप्रभुतासंपन्न देश है और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कटिबद्ध है, पर पिछले कुछ वर्षो से ऐसा देखा जा रहा है कि यहां की केंद्र सरकार अपने पड़ोसियों के दुस्साहस और सीमा–पार अपराधों को लेकर संजीदा नहीं है. इस साल की शुरुआत में भारतीय सेना के दो जवानों का सिर काट कर […]
भारत एक संप्रभुतासंपन्न देश है और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कटिबद्ध है, पर पिछले कुछ वर्षो से ऐसा देखा जा रहा है कि यहां की केंद्र सरकार अपने पड़ोसियों के दुस्साहस और सीमा–पार अपराधों को लेकर संजीदा नहीं है. इस साल की शुरुआत में भारतीय सेना के दो जवानों का सिर काट कर पाकिस्तानी सेना ने बर्बरता की पराकाष्ठा पार की थी.
अभी कुछ दिन पहले फिर, गश्त कर रहे पांच जवानों को मार कर उसने अपनी गंदी सोच उजागर की है. पर आश्चर्य है प्रत्येक हमले के बाद देश के मंत्रियों द्वारा कड़ी कार्रवाई के वायदों के बावजूद कुछ नहीं किया जाता है और इससे देश में निराशा बढ़ी है. हमारी सेना का मनोबल भी घटा है. मौके पर मुस्तैद जवानों को अगर हर बात के लिए यह कहा जाये कि आत्म–रक्षा के लिए भी दिल्ली में बैठे वार्ता–ढोंगी आकाओं की इजाजत लेनी पड़ेगी, तो फिर सीमा पर सेना की तैनाती ही क्यों? क्या सरकार को यह अधिकार है कि बेवजह जवानों की जान ली जाये? देश की सुरक्षा के साथ यह खिलवाड़ है और इसी सरकारी नाकामी और लचीलेपन के चलते पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों का दुस्साहस बढ़ा है.
।। मनोज आजिज ।।
(आदित्यपुर)