देश की बरबादी की जिम्मेदार जनता है

जिस तरह देश के सारे राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाने और आरटीआइ के विरोध में एक सुर में गाते हुए नजर आते हैं, काश उसी तरह चीन और पाकिस्तान के मुद्दों पर भी एक होकर कोई कार्रवाई कर पाते. न ही इस पर किसी नेता का बयान सुनने को मिलता है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2013 4:20 AM

जिस तरह देश के सारे राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाने और आरटीआइ के विरोध में एक सुर में गाते हुए नजर आते हैं, काश उसी तरह चीन और पाकिस्तान के मुद्दों पर भी एक होकर कोई कार्रवाई कर पाते. ही इस पर किसी नेता का बयान सुनने को मिलता है और ही आंदोलन छिड़ता है.

जिस तरह कैबिनेट में आरटीआइ से राजनीतिक दलों को राहत दी जाती है, ठीक उसी तरह देश की जनता को भी कुछ राहत मिल पाती. जिस भ्रष्टाचारमुक्त भारत का सपना हम देख रहे हैं, उसके लिए क्या इन लोगों से उम्मीद की जा सकती है? अपने हितों के लिए जनता के हितों की बलि लेनेवाले दल क्या कभी देश और जनता के बारे मे सोच पायेंगे? देश की जनता मंदिरमसजिद के नाम पर लड़ कर इन भ्रष्ट दलों की राजनीति में खुद का होना ही भूल जाती है.

कोई खुद को हिंदू राष्ट्रवादी कहता है तो कोई सेकुलर. देश शायद एक भिखारी है, जो इन नेताओं के सामने खुद की रक्षा के लिए गिड़गिड़ाता है और भीख मांगता है. इसके लिए देश को मजबूर हमने किया है, हमारी सोच ने किया है!

।। उमेश रंजन ।।

(जमशेदपुर)

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