आज की राजनीति और युवा पीढ़ी

जीतन राम मांझी की हेकड़ी निकल गयी. विधानसभा पटल पर शक्ति परीक्षण से पहले ही मैदान छोड़ दिया और झट से इस्तीफा सौंप दिया. उनके इस कृत्य से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि यदि कोई व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, लेकिन क्या वह राजनीति में इस तरह अपना वजूद बचाये रह सकता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 24, 2015 6:20 AM
जीतन राम मांझी की हेकड़ी निकल गयी. विधानसभा पटल पर शक्ति परीक्षण से पहले ही मैदान छोड़ दिया और झट से इस्तीफा सौंप दिया. उनके इस कृत्य से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि यदि कोई व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, लेकिन क्या वह राजनीति में इस तरह अपना वजूद बचाये रह सकता है, जो न देश के संविधान को मानता हो और न ही अपने दल के नियमों को?
इस पर तुर्रा यह कि वह यह कहता फिरता है कि अभी तो उसे 140 विधायकों का समर्थन है. आज शायद मांझी भूल रहे हैं कि युवा पीढ़ी चाहे किसी जाति या धर्म की क्यों न हो, उसे हर तरह की सुविधाएं चाहिए. चाहे वह शिक्षा से जुड़ी सुविधा हो या फिर कोई अन्य. आज का युवा कुत्सित राजनीति से ऊपर उठ कर अच्छी आमदनी वाली नौकरी और काम का अवसर तलाश रहा है. ऐसे में मांझी का यह कृत्य राजनीति ही नहीं, देश समाज के लिए भी घातक है.
डॉ भुवन मोहन, रांची

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