भ्रष्टाचार की श्रेणी में आये दल-बदल

देश में भ्रष्टाचार चरम पर है. भ्रष्टाचारियों से देश की जनता त्रस्त और व्याकुल है. नेता उसे मिटाने का दम भरते तो हैं, लेकिन खुद पहल नहीं करते. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. इसी से जुड़ी है विदेशों से कालेधन को वापस लाने की प्रक्रिया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2015 7:41 AM

देश में भ्रष्टाचार चरम पर है. भ्रष्टाचारियों से देश की जनता त्रस्त और व्याकुल है. नेता उसे मिटाने का दम भरते तो हैं, लेकिन खुद पहल नहीं करते. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. इसी से जुड़ी है विदेशों से कालेधन को वापस लाने की प्रक्रिया. मोदी जी की सरकार तत्परता दिखाते हुए कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में जुट गयी है. यह देशवासियों के लिए अच्छा संदेश है, लेकिन दुख की बात है कि विधायिका से जुड़े लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं. इस देश में राजनेता भष्टाचार को छूत और अनैतिक मान कर खड़े हो जायें, तो इस पर अंकुश लगाने में आसानी होगी.

यह घोर विडंबना ही है कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का सपना देख रहे हैं, वहीं कुछ राज्यों में भाजपा खरीद-फरोख्त के बल पर विधायकों का दल-बदल करवा रही है. इसका ठोस सबूत झारखंड है. यहां झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायक भाजपा में शामिल हो गये है. इस अनैतिकता का श्रेय मुख्यमंत्री और उनकी टीम को जाता है. यह दुर्भाग्य ही है कि इसी आशा में मंत्रिमंडल का विस्तार रुका हुआ था. इसका आभास विपक्षी दलों को था.

दल-बदल एक भ्रष्टाचार है. दल बदलने के लिए दो तिहाई संख्या बल की दुहाई देना राजनीतिक बेईमानी है. और जनप्रतिनिधियों का जनअपेक्षाओं के प्रति आघात भी. इसलिए हर हाल में दल बदलने वालों की विधायकी छीन ली जानी चाहिए. चाहे कानून में संशोधन ही क्यों न करना पड़े. यदि कोई विधायक दल बदलता है, तो उसे भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए, क्योंकि वह आर्थिक या पद का लाभ पाने के लिए दल बदलता है.

बैजनाथ महतो, बोकारो

Next Article

Exit mobile version