देश के लिए नुकसानदेह है आम बजट

देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 20115-16 का आम बजट संसद में पेश कर दिया है. इस पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने अपने हिसाब से चर्चा में भाग लेकर अपनी बातें रखीं. विपक्ष ने इसे गरीब विरोधी और सत्ता पक्ष ने गरीबों के हित में बताया. बजट पर बहस हुई और अभी भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2015 12:23 AM

देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 20115-16 का आम बजट संसद में पेश कर दिया है. इस पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने अपने हिसाब से चर्चा में भाग लेकर अपनी बातें रखीं. विपक्ष ने इसे गरीब विरोधी और सत्ता पक्ष ने गरीबों के हित में बताया. बजट पर बहस हुई और अभी भी चल रही है, जो दो चार दिनों बाद समाप्त हो जायेगी, लेकिन ग्रामीण गरीबों के मूल सवाल अनसुलझा ही रह गया.

देश में अभी भी 78 फीसदी आबादी गरीब है. यह आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है. इनके बच्चों का शिक्षा और स्वास्थ्य पूरी तरह से सरकारी व्यवस्था पर निर्भर है. बावजूद इसके जेटली साहब ने इन इलाको को 2014-15 के बजट में जो आवंटन दिया गया था, उसमें भी कटौती कर दी. इस मसले पर न तो संसद में और न ही संसद से बाहर किसी ने चर्चा की. इसका मुख्य कारण यह है कि बजट पर बहस करने वालों में से किसी का भी बच्चा न तो सरकारी स्कूल में पढ़ता है और न ही वह गरीब है. उसके परिवार को कोई भी सदस्य सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने भी नहीं जाता है.

डॉक्टरों की अनदेखी से संसद में बैठनेवाले नेताओं के परिजनों को नुकसान भी नहीं उठाना पड़ता. इसलिए उन्हें देश के इन गरीबों की चिंता नहीं है. उन्हें सरकारी खर्च पर फाइव स्टार अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिलती है. उनके बच्चों और परिजनों को छींक आने पर डॉक्टरों की हुजूम उमड़ पड़ता है. वे वातानुकूलित दफ्तरों में बैठ कर देश की योजनाएं तैयार करते हैं, इसलिए उन्हें गरीबों के दर्द का पता ही नहीं चलता है. यही वजह है कि वे गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करते हैं. सरकार की यह कटौती देश के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

गणोश सीटू, हजारीबाग

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