धर्म के धंधेबाजों से दूर रहना जरूरी

यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी के साथ सत्य, संयम, त्याग, प्रेम, दया, करुणा, अहिंसा, धीरज जैसे सद्गुणों के पालन का प्रयास करता है, तो उसे कोई अनावश्यक कर्मकांड करने की जरूरत नहीं है. वैसे भी कर्मकांड फिजूलखर्ची के सिवा और कुछ भी नहीं हैं. इन गतिविधियों का सांस्कृतिक महत्व हो सकता है, पर ये जिस प्रकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2015 3:35 AM
यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी के साथ सत्य, संयम, त्याग, प्रेम, दया, करुणा, अहिंसा, धीरज जैसे सद्गुणों के पालन का प्रयास करता है, तो उसे कोई अनावश्यक कर्मकांड करने की जरूरत नहीं है. वैसे भी कर्मकांड फिजूलखर्ची के सिवा और कुछ भी नहीं हैं.
इन गतिविधियों का सांस्कृतिक महत्व हो सकता है, पर ये जिस प्रकार से संपादित किये जाते हैं, उससे आध्यात्मिकता नहीं झलकती. आचरण की शुद्धता के अभाव में ये व्यर्थ ही प्रतीत होते हैं. अब समय आ गया है कि सभी धर्मो के अनुयायी सात्विक एवं कर्तव्यपरायण बनें. कुरीतियों का हमेशा विरोध होना चाहिए और धर्म के धंधेबाजों से दूरी बनाये रखी जानी चाहिए. इनसे दूरी बनाये रखने से लोक कल्याण की आस जगती है. एक सुव्यस्थित समाज के लिए यही सफलता का रहस्य है. इसे हर किसी को अपनाना चाहिए.
मनोज कुमार, चौपारण

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