स्थानीयता पर हो रही ओछी राजनीति

मैं इस समाचार पत्र के माध्यम से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, उस समय स्थानीयता की नीति को परिभाषित करने का उन्हें ध्यान नहीं रहा. आज जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो उन्हें स्थानीयता की नीति याद आ रही है. उन्होंने अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2015 3:35 AM
मैं इस समाचार पत्र के माध्यम से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं. जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, उस समय स्थानीयता की नीति को परिभाषित करने का उन्हें ध्यान नहीं रहा. आज जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो उन्हें स्थानीयता की नीति याद आ रही है.
उन्होंने अपने शासनकाल में ज्यादातर नियुक्तियां बिना किसी स्थानीयता की नीति के ही की हैं. ये नियुक्तियां गलत तरीके से की गयी हैं. यह बात सभी जानते हैं. उन्हें भी यह पता है, लेकिन सिर्फ विरोध जताने के लिए वह स्थानीयता का राग अलाप रहे हैं. आज इस राज्य के गठन को 15 साल हो गये हैं, लेकिन आज तक यहां के नेता और शासक स्थानीयता की नीति पर एकमत नहीं हो सके हैं. यह ओछी राजनीति का एक हिस्सा है. उनके रवैये से तो यही लगता है कि कोई भी नेता या शासक इसे बनाना ही नहीं चाहता.
कलीमउद्दीन, रांची

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