महिलाएं अब भी प्रताड़ना की शिकार
हम इक्कीसवीं सदी के भारत में जी रहे हैं, लेकिन क्या हम इस युग में महिलाओं को सम्मान देने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं? आज क्या घरेलू हिंसा में कमी आयी है? नहीं. आज भी विभिन्न प्रकार से महिलाएं घरेलू प्रताड़ना, यौन शोषण और मानसिक प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं. हर वर्ग […]
हम इक्कीसवीं सदी के भारत में जी रहे हैं, लेकिन क्या हम इस युग में महिलाओं को सम्मान देने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं? आज क्या घरेलू हिंसा में कमी आयी है? नहीं. आज भी विभिन्न प्रकार से महिलाएं घरेलू प्रताड़ना, यौन शोषण और मानसिक प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं.
हर वर्ग के परिवारों में आज भी महिलाओं को हालात से समझौता करना पड़ता है. इसी का नतीजा है कि आज देश में महिलाओं द्वारा आत्महत्या किये जाने जैसी घटनाएं आम हो गयी हैं. हालांकि, वे खुद को सामाजिक तौर पर मजबूत बनाने की दिशा में कठोर कदम उठा सकती हैं, लेकिन इसके लिए हम सभी को आपस में मिल कर उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाना होगा. उनके अंदर हीनभावना के स्थान पर सकारात्मक सोच पैदा करनी होगी. तभी हमारे समाज की महिलाओं की दशा बदलेगी.
डॉ अनुराधा, रांची