गरीबों को समझने की कोशिश करें

नगालैंड की घटना भले ही इंसानियत को शर्मसार करती हो, पर इस तरह की घटनाएं कानून-व्यवस्था के लचीलेपन से उपजे जनाक्रोश का नतीजा हैं. यह कानून-व्यवस्था से सताये हुए लोगों का अंसतोष है. आज देश में न जाने कितने लोगों पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप हैं, लेकिन वे आजाद घूम रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 1:17 AM
नगालैंड की घटना भले ही इंसानियत को शर्मसार करती हो, पर इस तरह की घटनाएं कानून-व्यवस्था के लचीलेपन से उपजे जनाक्रोश का नतीजा हैं. यह कानून-व्यवस्था से सताये हुए लोगों का अंसतोष है. आज देश में न जाने कितने लोगों पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप हैं, लेकिन वे आजाद घूम रहे हैं.
कारण यह कि उनके खिलाफ या तो पुलिस और कानून के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है या फिर उसकी पहुंच ऊंची है. यह हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की खामी है कि आज एक गरीब आदमी न्याय पाने की आस में सालों तक बिना किसी दोष-सिद्धि के जेलों में पड़ा रहता है. 40 साल केस चलने पर पता चलता है कि उसका तो कोई दोष ही नहीं था. शायद इसी आशंका की वजह से भीड़ ने गलत कदम उठाया है, जो सर्वथा निंदनीय है.
कुणाल कुमार, पतरातू

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