नेताओं के बोलने की तय हो सीमा

राज्यसभा में एक वरिष्ठ सांसद ने संसद की गरिमा को ही तार-तार कर दिया. बहस के दौरान उन्होंने महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर दी. बीमा विधेयक पर चर्चा करते हुए वह भारतीय महिलाओं की देह का बखान करने लगे. सदन में उनके इस प्रकार के कथनों पर सदस्यगण खिलखिला कर हंस पड़े. लेकिन वक्तव्य देनेवाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 1:18 AM
राज्यसभा में एक वरिष्ठ सांसद ने संसद की गरिमा को ही तार-तार कर दिया. बहस के दौरान उन्होंने महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी कर दी. बीमा विधेयक पर चर्चा करते हुए वह भारतीय महिलाओं की देह का बखान करने लगे. सदन में उनके इस प्रकार के कथनों पर सदस्यगण खिलखिला कर हंस पड़े.
लेकिन वक्तव्य देनेवाले नेता और उनकी टिप्पणी पर हंसनेवाले सदस्य आखिर इस तरह की हरकत से क्या साबित करना चाहते हैं? मुङो तो यह लगता है कि यदि अनुभवी और वरीय सांसद इस तरह संसद की गरिमा को शर्मसार करते रहे, तो युवा सांसदों से क्या उम्मीद की जा सकती है? एक ओर जहां देश में महिला सशक्तीकरण की बात की जा रही हो, तो दूसरी तरफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करना कितना जायज है? हद तो तब हुई, जब नेताजी ने माफी मांगने से मना कर दिया.
भास्कर सिंह, ई-मेल से

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