विश्व गुरु को कोई क्या आईना दिखायेगा!
।।सत्य प्रकाश चौधरी।।प्रभात खबर, रांचीदुनियाभर के विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग जारी हुई है. इस फेहरिस्त में शामिल सर्वश्रेष्ठ 500 विश्वविद्यालयों में भारत से सिर्फ एक संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान यानी आइआइएससी को जगह मिली है. कुछ लोग इस पर शर्मिदा हैं, चिंतित हैं कि देश में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है. दरअसल, ऐसे […]
।।सत्य प्रकाश चौधरी।।
प्रभात खबर, रांची
दुनियाभर के विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग जारी हुई है. इस फेहरिस्त में शामिल सर्वश्रेष्ठ 500 विश्वविद्यालयों में भारत से सिर्फ एक संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान यानी आइआइएससी को जगह मिली है. कुछ लोग इस पर शर्मिदा हैं, चिंतित हैं कि देश में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है. दरअसल, ऐसे लोग देशद्रोही हैं. उन्हें अपने देश को विदेशी चश्मे से देखने की आदत है. सच्चा देशभक्त सबसे पहले इस रैंकिंग को खारिज करेगा. इसे भारत की विश्व गुरु की छवि धूमिल करने की साजिश बतायेगा. नालंदा और तक्षशिला के गौरव की दुहाई देगा और अतीत के सुनहरे दिनों में खो जायेगा. अरे भाई उन्हीं दिनों में, जब इस देश में दूध-दही की नदियां बहती थीं और जब हर बाला देवी की प्रतिमा और हर बच्च राम हुआ करता था.
सच्चा देशभक्त बतायेगा कि हार्वर्ड, एमआइटी, स्टैनफोर्ड तो भारत के वेदों का ज्ञान चुरा कर ही सर्वश्रेष्ठ विवि बने हैं. इतना ही नहीं, पश्चिम ने भारत के पुष्पक विमान से हवाई जहाज और ब्रह्मास्त्र से परमाणु बम बनाने का फारमूला उड़ाया है. जेएनयू में एक लड़की की हत्या के बाद से सच्चे देशभक्त मन ही मन बहुत खुश हैं. पारसी थियेटर की शैली में इतनी जोर से फुसफुसा रहे हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक उनकी बात पहुंच जाये. यही कि जेएनयू वामपंथियों का अड्डा है यानी पापियों का गढ़. वहां ब्रह्मचर्य का नाश हो चुका है. लड़के-लड़कियां स्वच्छंद और उन्मुक्त वातावरण में मिल रहे हैं.
जहां इस तरह भारतीय संस्कृति और धर्म की हानि होगी, वहां ऐसे ही कुकृत्य होंगे. सच्चा देशभक्त कहेगा कि भारत में शिक्षा के गिरते स्तर का कारण आरक्षण है. जिन्हें भैंस चराना चाहिए था, झाड़ू लगाना चाहिए था, उन्हें विश्वविद्यालयों में दाखिल किया जा रहा है, मुख्यमंत्री की कुरसी पर बिठाया जा रहा है. और, जो लोग हजारों वर्षो से ज्ञान की साधना कर रहे थे, उनके वंशज अच्छे संस्थानों में दाखिले और चपरासी की नौकरी तक के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं.
सच्चा देशभक्त यह कह कर खुद को उदार साबित करने की कोशिश करेगा कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को भी उनका हक मिलना चाहिए. अगर उन्हें दाखिले में आरक्षण देना ही है, तो रांची और मगध विवि में दें. पर आइआइटी, आइआइएम, एम्स में आरक्षण शिक्षा का पतन है. इसी तरह, नौकरियों में आरक्षण देना है, तो चपरासी की, सफाईकर्मी की नौकरी दें. सच्चा देशभक्त यह नहीं देखता कि कॉलेज-विवि पैसेवालों के लिए डिग्री खरीदने की दुकान बन गये हैं. गुरुजी धनपशुओं के बच्चों के लिए एकलव्यों का अंगूठा काट रहे हैं. डिजिटल तकनीक में हम भले पीछे हों, पर हमने ज्ञान को अंकों में बदल दिया है.