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भ्रष्टाचार मिटाने को बने कठोर कानून

देश के बहुत से लोग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. यह तो जाहिर ही है कि केंद्र व राज्य के तमाम विभागीय कार्यालयों के टेबुल पर बैठा प्रत्येक सक्षम अधिकारी व कर्मचारी बिना रिश्वत के काम नहीं करता. हर जगह भ्रष्टाचार इस कदर छाया हुआ है कि किसी […]

देश के बहुत से लोग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं है. यह तो जाहिर ही है कि केंद्र व राज्य के तमाम विभागीय कार्यालयों के टेबुल पर बैठा प्रत्येक सक्षम अधिकारी व कर्मचारी बिना रिश्वत के काम नहीं करता. हर जगह भ्रष्टाचार इस कदर छाया हुआ है कि किसी भी दफ्तर में कोई आवश्यक काम कराने के लिए रिश्वत के रास्ते ही चल कर जाना पड़ता है.
खास कर प्रखंड कार्यालयों में तो भ्रष्टाचार का इतना बोलबाला है कि यहां बिना कुछ लिये-दिये काम ही नहीं चलनेवाला. राज्य के प्रखंड कार्यालय से लेकर जिला मुख्यालयों में यहां की जनता को छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम कराने के लिए दान-दक्षिणा देनी ही पड़ती है.
यहां तक कि विधानसभा सचिवालय और संसद सचिवालय भी इससे अछूता नहीं है. फिलहाल, भ्रष्टाचार ने अत्यंत व्यापकता के साथ अपना पैर पसार लिया है. इसकी समाप्ति के लिए सरकार को कठोर से कठोर कानून बनाना होगा. झारखंड में इसके लिए पहल की शुरुआत कर दी गयी है. मुख्यमंत्री द्वारा निगरानी ब्यूरो के स्थान पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्थापना करना एक सराहनीय कदम है.
यह ब्यूरो तभी कारगर साबित होगा, जब इसमें काम करनेवाले अधिकारी और कर्मचारी ईमानदारीपूर्वक अपने कार्यो का निर्वहन करें. दुख तो तब होता है कि देश में भ्रष्टाचार मिटाने और उस पर नियंत्रण रखने के लिए बनायी गयी संस्थाएं भी भ्रष्टाचार में लिप्त होती हैं. डर इसी बात का लगता है कि कहीं झारखंड का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी कहीं भ्रष्टाचारियों का अड्डा न बन जाये. मेरे विचार से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में कठोर से कठोर कानून बनाने की दरकार है. यदि इस प्रकार का कानून आता है, तो बेहतर होगा.
बैजनाथ महतो, बोकारो

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