मजबूत हुआ महिला सशक्तीकरण
राज्य में महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से रविवार का दिन बेहद खास दिन बन गया. पहली बार सूबे की सड़कों पर महिला ऑटोचालकों को ऑटो चलाते देखा गया. इसे यादगार बनाने के लिए बाजाब्ता एक समारोह का आयोजन हुआ. महिला चालकों को हर तरह से तैयार करने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारी चल […]
राज्य में महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से रविवार का दिन बेहद खास दिन बन गया. पहली बार सूबे की सड़कों पर महिला ऑटोचालकों को ऑटो चलाते देखा गया. इसे यादगार बनाने के लिए बाजाब्ता एक समारोह का आयोजन हुआ.
महिला चालकों को हर तरह से तैयार करने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारी चल रही थी. अब तक ऑटो चलाना केवल पुरुषों का ही काम माना जाता रहा है. अन्य रोजगारों की अपेक्षा यह पेशा थोड़ा अधिक कठिन भी है. दिन–रात सड़कों पर रहना पड़ता है, जहां तरह–तरह के लोगों से सामना होता रहता है.
इसीलिए इस पेशे में आनेवाली महिलाओं की हिम्मत की सराहना करनी होगी. महिला ऑटोचालकों के सड़क पर आने के दो लाभ सीधे दिखाई पड़ते हैं. पहला तो यही है कि ये महिलाएं अब अपने पैरों पर खड़ी होंगी, परिवार की आय में उनका भी योगदान होगा. दूसरा लाभ इससे भी बड़ा है.
इन दस महिला ऑटोचालकों की हिम्मत हजारों अन्य महिलाओं में हिम्मत पैदा करेगी. अब कोई महिला अकेली पटना आ रही हो, तो वह इन महिला ऑटोचालकों के कारण खुद को अधिक सहज महसूस कर सकेगी. उसे भरोसा होगा कि वह इनके ऑटो से सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगी. इसी तरह बुजुर्गो के लिए भी ये महिला ऑटोचालक मददगार साबित हो सकती हैं.
पर्यटक भी इन महिला ऑटोचालकों के साथ खुद को अधिक सुरक्षित व सहज महसूस करेंगे. इन दो प्रत्यक्ष लाभों के अलावा कुछ अन्य अप्रत्यक्ष लाभ भी हैं, जिन्हें गौर करने पर आसानी से अनुभव किया जा सकता है– वह है पटना सहित पूरे प्रदेश में महिलाओं में आत्मविश्वास का बढ़ना और बिहार की छवि का और बेहतर होना.
ये दस महिलाएं लगातार अन्य महिलाओं को संदेश देती रहेंगी कि विकट स्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और कोई ठान ले, तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. इन महिलाओं को भी पता है कि उन्हें कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. सड़कों पर खुद इनकी अपनी सुरक्षा का सवाल कम महत्वपूर्ण नहीं है, इसीलिए इन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली है.
अधिक संभावना यह है कि उनके इसी संदेश के कारण आनेवाले समय में अन्य जिलों में भी महिलाओं को सड़कों पर ऑटो चलाते देखा जाये. इनके कारण सबसे बड़ा फर्क सूबे की छवि में आयेगा. महिलाओं के ऑटो चलाने के कारण पटना की छवि तो वुमेन फ्रेंडली बनेगी ही, बिहार की छवि भी बेहतर होगी. यह अधिक समावेशी हो सकेगी, जो सूबे में नये निवेश का माहौल बनाने के लिए बेहद जरूरी है.