असली कसौटी है कानून का अमल
विदेशों में काला धन जमा करनेवालों को कठोरता से दंडित करने के लिए प्रस्तावित कानून के संसद के चालू सत्र में लाये जाने की खबर उत्साहजनक है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में कहा था कि सरकार काले धन को वापस लाने और दोषियों को सजा देने के प्रति कृतसंकल्प है, पर […]
विदेशों में काला धन जमा करनेवालों को कठोरता से दंडित करने के लिए प्रस्तावित कानून के संसद के चालू सत्र में लाये जाने की खबर उत्साहजनक है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में कहा था कि सरकार काले धन को वापस लाने और दोषियों को सजा देने के प्रति कृतसंकल्प है, पर इस दिशा में मौजूदा कानूनों की सीमाएं अवरोध खड़ा कर रही हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है.
सरकार पर अपने चुनावी वादे को पूरा करने का भी दबाव है, जिसमें उसने काले धन को वापस लाने की बात कही थी, लेकिन दस महीने बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है. इस विधेयक में 300 फीसदी अर्थदंड और 10 वर्ष तक के कारावास की सजा है तथा विदेशी संपत्ति के लाभार्थियों को विवरण न देने पर सात वर्ष तक की सजा हो सकती है.
इस कानून से विभिन्न देशों के साथ संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान में भी सुविधा हो जायेगी, जिसके अभाव में जांच करना और जानकारी जुटाना लगभग असंभव है. प्रस्तावित विधेयक अपने उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध तो दिख रहा है, परंतु जानकारों ने अनेक कमियों को भी रेखांकित किया है. कानून काले धन के उद्भव के बड़े कारणों तथा उसके देश के बाहर जाने की प्रक्रिया पर चुप है. वित्त मंत्री का मुख्य ध्यान वसूली और अपराध रोकने पर है.
ऐसे में यह प्रश्न भी वाजिब है कि जब दोषियों ने मौजूदा कानूनों की परवाह नहीं की है, तो यह नया कानून उन्हें काला धन विदेश ले जाने से कहां तक रोक सकेगा? आयकर कानूनों में भी भारी अर्थदंड और कारावास का प्रावधान है. ये कानून 1975 से ही लागू हैं और समय-समय पर उनमें संशोधन भी होते रहे हैं.
जांच में देरी और विभिन्न विभागों की लापरवाही भी दोषियों के लिए वरदान साबित होती है. उदाहरण के लिए, एचएसबीसी के काले धन के 427 मामलों की जांच पूरी करने की तारीख 31 मार्च तय की गयी थी, लेकिन अब तक 200 मामलों का ही अनुसंधान पूरा हुआ है और सिर्फ 80 में ही मुकदमे की कार्रवाई शुरू की गयी है. उम्मीद है कि सरकार इस विधेयक को संसद के सामने तुरंत लायेगी और संसद उसे अनुमति देगी. सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून कागज के पन्नों से उतर कर काला धन रोकने में भी कारगर सिद्ध हो.