स्पॉटलाइट के लिए सर्चलाइट

विश्वकप की अब तक की उत्कृष्ट टीम भारतीय टीम है. यह दबाव में शांति, रवैये में संतुलन और विजय में व्यापकता का प्रतिमान है. इस टीम में कई स्तंभ हैं, जिनके कारण ढांचा कभी ध्वस्त नहीं होता. हमें जल्दी ही यह पता चल जायेगा कि समकालीन एक-दिवसीय क्रिकेट का चैंपियन कौन है. लेकिन, हमें यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2015 6:33 AM

विश्वकप की अब तक की उत्कृष्ट टीम भारतीय टीम है. यह दबाव में शांति, रवैये में संतुलन और विजय में व्यापकता का प्रतिमान है. इस टीम में कई स्तंभ हैं, जिनके कारण ढांचा कभी ध्वस्त नहीं होता.

हमें जल्दी ही यह पता चल जायेगा कि समकालीन एक-दिवसीय क्रिकेट का चैंपियन कौन है. लेकिन, हमें यह पता जरूर है कि इस टूर्नामेंट के हीरो बांग्लादेशी खिलाड़ी हैं. कुछ विचित्र अपवादों को छोड़ दें, तो हम सभी अपने देश का समर्थन करते हैं. कुछ मूर्ख अपवादों को छोड़ दें, तो हम सभी को बांग्लादेश के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए. उनके अकल्पनीय उभार का भाग्य से कोई लेना-देना नहीं है. और शायद ही कभी होता है. वह प्रशंसा के योग्य टीम है, क्योंकि अलग-अलग खिलाड़ियों की क्षमता से उनकी सामूहिकता कहीं अधिक बड़ी है.

फुटबॉल, हॉकी या रग्बी की तरह क्रिकेट को टीम स्पोर्ट के रूप में देखना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है. फुटबॉल में दो पूरी टीमें भिड़ी रहती हैं. लेकिन क्रिकेट में, एक टीम के 11 खिलाड़ी मैदान में और दूसरी टीम के दो बल्लेबाज विकेट पर होते हैं. बल्लेबाज अपना स्थान बदलते हैं. क्षेत्ररक्षण की शतरंजी बिसात पर मोहरे बदलते रहते हैं. क्रिकेट एक ही साथ एक बनाम एक, एक बनाम दो और 11 बनाम एक हो सकता है.

यह विखंडित, किंतु निष्क्रिय कतई नहीं, प्रक्रिया स्पॉटलाइट को टीम की जगह एक व्यक्ति पर केंद्रित कर देती है. आंकड़े बल्लेबाज के रन और गेंदबाज के विकेट दिखाते हैं, भले ही जीत टीम की हुई हो. लेकिन आपने कितनी बार टीवी कैमरों को मैदान के सभी खिलाड़ियों को दिखाते हुए देखा है? शायद कभी नहीं. दृश्य क्लोज-अप ही होते हैं. खिलाड़ी भी यह जानते हैं. खिलाड़ी भी मुस्कान, गुस्सा और उत्तेजना दिखाने की कला में माहिर हो चुके हैं, जो उन्हें विज्ञापन का अगला अवसर दिला सके.

बांग्लादेश की प्रगति टीम भावना का शानदार उदाहरण है, जो साधारण प्रतिभाओं को शिखर देती है. यह उनके सबसे महत्वपूर्ण मैच में साफ दिखा था, जब उन्होंने इंग्लैंड को हरा कर पहली बार नॉक आउट स्टेज में प्रवेश किया था. इस नतीजे को ऐतिहासिक बताया गया. पर, आज भले ही खिलाड़ियों से अधिक कमेंटेटर हैं और समय काटने के लिए करतबबाजों को भी लाया जाता है, लेकिन किसी ने भी इस उपल्ब्धि के दूसरे कारण को रेखांकित नहीं किया. पुराने ब्रिटिश राज के हर उत्तराधिकारी देश ने उपनिवेशवाद के इस सिरमौर और क्रिकेट की जननी को हराया है. उत्सव मनायें! हम अब तो साम्राज्यवाद को पीछे छोड़ सकते हैं. हमने बदला ले लिया है और अब आगे बढ़ सकते हैं.

युवा रुबेल हुसैन उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश का नया सितारा है. उसकी पूर्व प्रेमिका और अभिनेत्री नाजनीन अख्तर हैप्पी, जो खुद ही एक स्टार है, ने फिर उसकी प्रशंसा की है और संबंध तोड़ने के लिए उसे माफ भी कर दिया है. लेकिन रुबेल का प्रदर्शन उसकी टीम के अनुरूप ही था. इंग्लैंड के खिलाफ उसकी गेंदबाजी की चर्चा बांग्लादेश में बरसों तक होगी, खास कर तब, जब ढाका के बंगाली अपने प्रिय विषय राजनीति से उचाट हो गये हैं. लेकिन ऐसी कई कहानियां होंगी, जो बतकही का विषय बनेंगी. कठिन स्थितियों में अंतिम निर्णय लेने की अंपायरों की बातचीत की रिकॉर्डिग खूब सुनी-सुनायी जा रही है, जो उत्तेजनात्मक गप-शप की भूख को और बढ़ायेगी. पराजित पक्ष के लिए किंतु-परंतु के अलावा सांत्वना का और कोई आधार नहीं होता. लेकिन इन बातों से कहानी नहीं बदलती. अच्छी टीम को जीत मिलती है.

विश्वकप की अब तक की उत्कृष्ट टीम भारतीय टीम है. यह दबाव में शांति, रवैये में संतुलन और विजय में व्यापकता का प्रतिमान है. इस टीम में कई स्तंभ हैं, जिनके कारण ढांचा कभी ध्वस्त नहीं होता. यह आत्मतुष्टि से दोषग्रस्त नहीं है. यह टीम बांग्लादेश के विरुद्ध उसी सघनता से खेली, जैसा वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्रदर्शित करती. भारत ने सात मैचों में 70 विकेटें हासिल किया है. यह गेंदबाजी है. पावर प्ले में टीम ने एक भी विकेट नहीं गंवाया है और 300 रनों का स्कोर खतरनाक निरंतरता के साथ खड़ा किया है. जब विराट कोहली असफल होते हैं, तो रोहित शर्मा सफल होते हैं. यह बल्लेबाजी है.

मुङो बुरी खबर की भी जानकारी है; ऐसा हमेशा नहीं होता रह सकता है. ऐसा होता रह सकता है क्या? नहीं. लेकिन हम लालची भी नहीं हैं. हम बस इतना चाहते हैं कि यह सिलसिला दो और मैचों तक चले. विराट कोहली और महेंद्र सिंह धौनी बांग्लादेश के खिलाफ रन नहीं बना सके. अगर आप संभावना के संतुलन के आधार पर आकलन करते हैं, तो निश्चित रूप से यह अच्छी खबर है, क्योंकि अच्छी संभावनाएं उनकी ओर जाती दिख रही हैं. भारत को अब तक इस टूर्नामेंट में धौनी के धुआंधार प्रदर्शन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ी है, क्योंकि उनसे पहले मैदान में आनेवाले बल्लेबाजों ने जरूरत से अधिक प्रदर्शन किया है. परंतु, आगामी दो मैचों में से एक में भारत के सर्वाधिक सफल एक-दिवसीय क्रिकेट कप्तान की परीक्षा होगी.

एमजे अकबर

प्रवक्ता, भाजपा

delhi@prabhatkhabar.in

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