झारखंड में कैसे मिटेगी बेरोजगारी
यह कैसी विडंबना है कि झारखंड में एक तरफ बेरोजगारों की फौज खड़ी होती जा रही है और दूसरी तरफ सरकार के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी है. नयी नियुक्तियां या तो हो नहीं रही हैं या फिर इसके लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. यदि सरकारी स्तर […]
यह कैसी विडंबना है कि झारखंड में एक तरफ बेरोजगारों की फौज खड़ी होती जा रही है और दूसरी तरफ सरकार के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी है. नयी नियुक्तियां या तो हो नहीं रही हैं या फिर इसके लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
यदि सरकारी स्तर पर कभी-कभार प्रयास किया भी जाता है, तो नियुक्ति के समय दर्जनों पेच फंसा दिये जाते हैं. कभी स्थानीयता के नाम पर, तो कभी प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितता के नाम पर बखेड़ा खड़ा करके बेरोजगारों और राज्य की जनता के साथ गंदा मजाक किया जाता है. यह समझ से परे है कि यह सब राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए किया जाता है या फिर यह सोची-समझी साजिश है. कुछेक मामलों में तो अभ्यर्थियों की उम्र ही निकल जाती है. आखिर इस तरह बेरोजगारी कैसे मिटेगी?
पंकज कुमार, रांची