सफलता के लिए बुजुर्गो की उपेक्षा
आधुनिक युग में युवा हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रहा है. पूरे देश के विकास का दारोमदार युवाओं के मजबूत कंधों पर है. चिकित्सा से लेकर राजनीति और कला से लेकर लेखन तक सभी क्षेत्रों में युवाओं ने अपने बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है. लेकिन एक सवाल मन को अक्सर कुंठित करता […]
आधुनिक युग में युवा हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रहा है. पूरे देश के विकास का दारोमदार युवाओं के मजबूत कंधों पर है. चिकित्सा से लेकर राजनीति और कला से लेकर लेखन तक सभी क्षेत्रों में युवाओं ने अपने बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.
लेकिन एक सवाल मन को अक्सर कुंठित करता है.
क्या युवा पीढ़ी सफलता पाने की होड़ में मानवीय मूल्यों को पैरों तले रौंद रही है? इसका जवाब समाज में बुजुर्गो की दयनीय स्थिति देख कर मिल जाता है. युवा बुजुर्गो को बेकार का बोझ समझ कर उनका तिरस्कार करते हैं. यहां तक कि उन्हें हीन भावना से देखते हैं.
हमें नहीं भूलना चाहिए कि बुजुर्गो के पास बहुमूल्य अनुभव है जिसके बिना हम सफलता नहीं पा सकते हैं. माना कि वे शरीर से बेबस हैं, लेकिन समाज में एक बड़ा योगदान दे सकते हैं. बस जरूरत है, उन्हें सम्मान और सहारा देने की.
पंकज कुमार, रांची