अन्नदाता के साथ ऐसा अन्याय क्यों?
पिछले दिनों खबर आयी कि पश्चिम बंगाल के आलू किसान आत्महत्या कर रहे हैं. बंगाल का आलू झारखंड, बिहार, ओड़िशा और उत्तर प्रदेश तक जाता है. ऐसे में सवाल मौजूं है कि आखिरकार ये किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? जब किसान ही नहीं रहेंगे तो फसलों को उपजायेगा कौन? आज जिस तरह बंगाल की […]
पिछले दिनों खबर आयी कि पश्चिम बंगाल के आलू किसान आत्महत्या कर रहे हैं. बंगाल का आलू झारखंड, बिहार, ओड़िशा और उत्तर प्रदेश तक जाता है. ऐसे में सवाल मौजूं है कि आखिरकार ये किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? जब किसान ही नहीं रहेंगे तो फसलों को उपजायेगा कौन?
आज जिस तरह बंगाल की राजनीतिक स्थिति डगमगायी हुई है, उसमें किसानों का प्रतिदिन आत्महत्या करना अपने आप में एक सोचनीय मुद्दा है. आजकल किसान कर्ज लेकर कृषि कर तो रहे हैं, लेकिन व्यवसाय में घाटा होने से वे कर्ज को चुका नहीं पा रहे हैं.
जहां राज्य सरकार इन मामलों को आत्महत्या मानने से इनकार कर रही है, वही खबरें आ रही हैं कि किसानों को जबरन उनके उत्पाद को निर्धारित मूल्य से आधे दाम में बेचने पर मजबूर किया जा रहा है. अन्नदाता के साथ ऐसा अन्याय क्यों?
ओमप्रकाश प्रसाद, हुगली