झारखंड में सुशासन की आस ?

।।मंत्रिमंडल का विस्तार।।कौन कांग्रेसियों को मंत्री पद की शपथ दिलाने के साथ ही झारखंड सरकार की टीम पूरी हो गयी. अब झारखंड के लोगों को नयी सरकार से सुशासन की आस है. यह उम्मीद कितनी सही है? एक तो इस सरकार की मियाद मात्र 14 महीने की है, ऊपर से कुछ मंत्री अपने विभाग को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2013 2:13 AM

।।मंत्रिमंडल का विस्तार।।
कौन कांग्रेसियों को मंत्री पद की शपथ दिलाने के साथ ही झारखंड सरकार की टीम पूरी हो गयी. अब झारखंड के लोगों को नयी सरकार से सुशासन की आस है. यह उम्मीद कितनी सही है? एक तो इस सरकार की मियाद मात्र 14 महीने की है, ऊपर से कुछ मंत्री अपने विभाग को लेकर असंतुष्ट हैं. वहीं मंत्रिमंडल में शामिल लोगों पर दागी होने का आरोप लगाया जा रहा है.

41 दिनों के बाद काफी जोड़-तोड़ व हरेक पहलू को ध्यान में रख कर हेमंत सरकार में कांग्रेस कोटे से तीन विधायकों को शामिल किया गया. विपक्ष ने इन तीनों पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. अब इन लोगों के पास अपने ऊपर लगे दाग को धोने का समय है. ऐसे में विभाग कोई भी हो, विकास पर केंद्रित होकर काम करना इनकी प्राथमिकता होनी चाहिए. लेकिन, गंठबंधन सरकार की विसंगति यही है. ऐसी सरकार के मुखिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि कैसे अपनी सरकार में शामिल मंत्रियों को एकजुट रखा जाये. बात अगर दागी होने की है, तो वर्तमान राजनीति में हर दल में शामिल लोगों पर कुछ-न-कुछ आरोप हैं.

स्वच्छ छवि के लोग अब राजनीति में विरले मिलते हैं. तभी तो कैबिनेट ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले को उलटने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें दो साल से ज्यादा की सजा होते ही सांसद व विधायक की सदस्यता समाप्त हो जाती. ऐसी बातें जब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही हों, तो झारखंड की बात ही निराली है.

झारखंड में भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति के आरोप कई विधायकों पर हैं. यहां सरकारें भले ही बदल जा रही हों, लेकिन सरकार में शामिल अधिकतर चेहरे वही होते हैं. बावजूद इसके हर बार सरकार बनने के बाद एक उम्मीद बंध जाती है कि इस बार सब कुछ ठीक होगा. झारखंड में विकास होगा. झामुमो, कांग्रेस व राजद का गंठबंधन क्या रंग लाता है, यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन जिस तरह से विरोध के स्वर फूट रहे हैं, उससे एक बात साफ है कि वर्तमान सरकार भी अपने को बचाये रखने पर ध्यान देगी, जो इस राज्य के लिए शुभ नहीं है.

झारखंड की इस नियति को कौन बदलेगा? सरकार में शामिल सभी लोगों पर यह जिम्मेवारी है कि झारखंड की उम्मीद पूरी करें. अभी इस सरकार को विशेष राज्य के दरजे के लिए लंबी लड़ाई लड़नी है. चूंकि केंद्र में भी कांग्रेस की सरकार है, इस कारण यहां की सरकार अपना मजबूत पक्ष केंद्र के समक्ष रख सकती है. सरकार में शामिल मंत्री आपसी राजनीति को भूल कर झारखंड के बारे में सोचें, यही कामना है.

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