वाणी पर संयम बरतें राजनेता
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा सोनिया गांधी पर की गयी अभद्र टिप्पणी पर पूरा देश आहत हुआ. इस बयान पर जहां एक ओर तमाम विपक्षी पार्टियों सहित उनके कार्यकर्ताओं ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अपने-अपने तरीके से प्रदर्शन और पुतला दहन कर विरोध दर्ज किया, वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर व दरभंगा में श्री सिंह के […]
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा सोनिया गांधी पर की गयी अभद्र टिप्पणी पर पूरा देश आहत हुआ. इस बयान पर जहां एक ओर तमाम विपक्षी पार्टियों सहित उनके कार्यकर्ताओं ने एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अपने-अपने तरीके से प्रदर्शन और पुतला दहन कर विरोध दर्ज किया, वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर व दरभंगा में श्री सिंह के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की कार्रवाई भी अमल में लायी जा रही है. पता नहीं हमारे देश के राजनेताओं को क्या हो गया है?
पिछले दिनों राज्यसभा में वरिष्ठ जदयू नेता शरत यादव ने भी महिलाओं के विरुद्ध आपत्तिजनक बातें कही थी. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी, भाजपा के साक्षी महाराज, सपा नेता आजम खां, मनसे नेता राज ठाकरे, सांसद मोहम्मद औवेसी तथा कई अन्य सांसदों के आपत्तिजनक बयानों से देश की जनता आहत होती रही है. निरंतर इस तरह के बयानों से जन-भावनाओं को छलनी किया जाता रहा है.
इन दिनों पूरे देश में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य समाचार एजेंसियों व संचार माध्यमों के तहत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयानों को अवाम के समक्ष परोसा जा रहा है. उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिम तमाम दिशाओं में इस बयान की तीव्र भर्त्सना हो रही है. यह बड़े ही क्षोभ का विषय है कि राजनेताओं द्वारा स्वार्थवश दूसरे को आहत करने के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग किया जाता है.
इस तरह की ओछी मानसिकता से हमारे देश की साख विदेशों में भी गिर रही है. आरोप-प्रत्यारोप संसदीय लोकतंत्र का एक हिस्सा है, किंतु व्यक्तिगत आक्षेप लगा कर खुद को तीसमार खां समझने वाले नेताओं की मानसिकता बदलने की जरूरत है. हमारी संस्कृति विश्व के लिए एक बड़ी प्रेरणा से कम नहीं है, इसे मिट्टी में न मिलायें.
अमरेंद्र सुमन, दुमका